जीएसटी से पहले के क्रेडिट दावों में से महज 12 हजार करोड़ रुपये के दावे सही
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जीएसटी से पहले के क्रेडिट दावों में से महज 12 हजार करोड़ रुपये के दावे सही

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद 95 हजार करोड़ रुपये का कर संग्रह किया गया जिसमें से कंपनियों ने 65 हजार करोड़ रुपये के पुराने क्रेडिट दावे किये हैं.

देश में एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू की गई थी.

नई दिल्ली: सरकार ने अनुमान जताया है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के दौरान कंपनियों द्वारा जुलाई में किये गये पहले के 65 हजार करोड़ रुपये के क्रेडिट दावों में से महज 12 हजार करोड़ रुपये के दावे ही वैध हैं. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद 95 हजार करोड़ रुपये का कर संग्रह किया गया जिसमें से कंपनियों ने 65 हजार करोड़ रुपये के पुराने क्रेडिट दावे किये हैं. इसकी सघन जांच करने के बाद इसमें से महज 12 हजार करोड़ रुपये के क्रेडिट दावे वैध पाये गये.

देश में एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू किये जाने के बाद पुराने कर ढांचे के तहत की गयी खरीद पर किये गये कर भुगतान का क्रेडिट लेने की स्वीकृति दी गयी है. यह सुविधा जीएसटी लागू होने के छह महीने बाद तक के लिए दी गई है. पुराने क्रेडिट के इतने बड़े स्तर पर हुए दावे ने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) को एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट दावों की जांच करने को मजबूर कर दिया. एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट दावे 162 कारोबारी इकाइयों ने किये हैं.

अधिकारी ने बताया, ‘‘कर प्राधिकरण केवल व्यवस्था में बदलाव के समय के क्रेडिट दावों का ही सत्यापन कर रहा है. वे किसी करदाता की जांच पड़ताल नहीं कर रहे हैं.’’ अधिकारी ने आंकड़े स्पष्ट करते हुए बताया कि शिक्षा उपकर, टेलीकॉम टावर पर क्रेडिट मान्य नहीं है लेकिन कई निकायों ने इसका दावा किया हुआ था.

इससे पहले शुक्रवार (22 सितंबर) को दिन में वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर जीएसटी व्यवस्था को लागू करने के दौरान 65 हजार करोड़ रुपये के क्रेडिट दावों को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं को खारिज कर दिया था. मंत्राालय ने कहा कि इसकी वजह से केंद्र के राजस्व में कोई गिरावट नहीं आएगी.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बकाया दावे का यह आंकड़ा अधिक नहीं है. मंत्रालय के अनुसार जीएसटी लागू होने से पहले 30 जून तक केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के रूप में 1.27 लाख करोड़ रुपये का क्रेडिट बकाया पड़ा था. उसने कहा, ट्रान (टीआरएएन)-1 फॉर्म में करदाताओं द्वारा किये क्रेडिट बकाये दावों का यह मतलब नहीं है कि उन्होंने माल बिक्री पर कर के भुगतान के लिए पूरे क्रेडिट का इस्तेमाल कर लिया है.

मंत्रालय ने कहा कि कुछ करदाताओं ने संभवत: फॉर्म भरने में गलती की होगी और इसीलिए सरकार अक्तूबर मध्य तक ट्रान-1 फॉर्म में संशोधन की सुविधा मुहैया कराएगी. जीएसटी परिषद ने पहले ही ट्रान-1 फॉर्म भरने की अंतिम तिथि को एक महीना बढ़ाकर 31 अक्तूबर कर दिया है.

उल्लेखनीय है कि 46 लाख से अधिक कारोबारियों ने जुलाई महीने में जीएसटी के तहत करीब 95 हजार करोड़ रुपये का कर भुगतान किया है. हालांकि, कारोबारियों ने जीएसटी लागू होने से पहले उत्पाद शुल्क और सेवाकर के रूप में दिये गये करों पर 65 हजार करोड़ रुपये के कर क्रेडिट का दावा भी किया है. क्रेडिट दावे की इस रकम को देखते हुये हय माना जा रहा था कि सरकार की राजस्व चिंता बढ़ सकती है.

इस बीच, कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल ने क्रेडिट दावा करने की अवधि को मार्च 2018 तक बढ़ाने की आज मांग की. कौंसिल के चेयरमैन उज्ज्वल लाहोटी ने कहा, ‘‘निर्यातकों की चिंता की मुख्य वजह जीएसटी रिफंड में हो रही देरी है. जुलाई में निर्यात किये गये सामानों पर जीएसटी रिफंड मिलना अभी शेष है.’’

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