करोड़ों खर्च करने के बाद भी स्वच्छता कार्यक्रम में जमीनी वास्तविकता डांवाडोल : CAG
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करोड़ों खर्च करने के बाद भी स्वच्छता कार्यक्रम में जमीनी वास्तविकता डांवाडोल : CAG

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने खुले में शौच के चलन की समाप्ति को स्वच्छता कार्यक्रम का मुख्य मुद्दा बताया और कहा कि यह ऐसा आचरण है जो न केवल जन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है बल्कि यह मानव गरिमा के भी प्रतिकूल है। कैग ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम के तहत भारी राशि खर्च करने के बाद भी जमीनी वास्तविकता काफी डांवाडोल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसने कहा कि खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या एशिया में लगातार कम हो रही है। लेकिन भारत फिर भी विश्व में खुले में शौच करने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या (60.09 प्रतिशत) वाला देश बना हुआ है जो वास्तव में चिंता का विषय है।

नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने खुले में शौच के चलन की समाप्ति को स्वच्छता कार्यक्रम का मुख्य मुद्दा बताया और कहा कि यह ऐसा आचरण है जो न केवल जन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है बल्कि यह मानव गरिमा के भी प्रतिकूल है। कैग ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम के तहत भारी राशि खर्च करने के बाद भी जमीनी वास्तविकता काफी डांवाडोल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसने कहा कि खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या एशिया में लगातार कम हो रही है। लेकिन भारत फिर भी विश्व में खुले में शौच करने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या (60.09 प्रतिशत) वाला देश बना हुआ है जो वास्तव में चिंता का विषय है।

कैग की यह रिपोर्ट मार्च 2014 को समाप्त हुए वर्ष के लिए संपूर्ण स्वच्छता अभियान और निर्मल भारत अभियान से संबंधित है। इस रिपोर्ट में कैग ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगातार पंचववर्षीय योजना के माध्यम से स्वच्छता कार्यक्रम को प्राथमिकता दिए जाने के बाद भी जमीनी वास्तविकता काफी डांवाडोल है। 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छता कार्यक्रम पर अत्यधिक निधियों का व्यय हो चुका है। संसद में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संपूर्ण स्वच्छता अभियान 2012 तक सभी के लिए शौचालय सुविधा सुनिश्चित कराने और सभी विद्यालयों एवं आंगनबाडी में मार्च 2013 तक स्वच्छता सुविधाएं मुहैया कराने के मुख्य मकसद के साथ शुरू किया गया था। बाद में इस कार्यक्रम को निर्मल भारत अभियान में परिवर्तित कर दिया गया।

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