SEBI को लेकर फिर उठे सवाल, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?
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SEBI को लेकर फिर उठे सवाल, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?

SEBI Controversy: SEBI के अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि इस महत्वपूर्ण पद के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को चुना जाना चाहिए, जो पहले से SEBI के अंदर काम कर चुका हो और जिसकी योग्यता पर कोई सवाल न हो.

SEBI को लेकर फिर उठे सवाल, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?

SEBI ED Appointment: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विवादों में आई पूंजी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) एक बार फिर विवादों में है. इस बार मामला एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (ED) पद पर बाहरी उम्मीदवार की नियुक्ति को लेकर है. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI जल्द ही हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की पूर्व टैक्सेशन हेड शिखा गुप्ता को एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर पद पर नियुक्त करने जा रहा है. इस खबर के बाहर आने के बाद से ही SEBI के अंदर असंतोष बढ़ गया है.

SEBI के अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि इस महत्वपूर्ण पद के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को चुना जाना चाहिए, जो पहले से SEBI के अंदर काम कर चुका हो और जिसकी योग्यता पर कोई सवाल न हो. कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि SEBI में काम करने वाले प्रतिभाशाली अधिकारियों को नजरअंदाज करना संगठन के अंदर के मनोबल को प्रभावित कर सकता है.

SEBI का विवादों से पुराना रिश्ता

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब SEBI में नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ है. SEBI की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं. इससे पहले साल 2022 में ICICI Bank के प्रमोद राव को ED के पद पर नियुक्त किया गया था. उस समय भी SEBI चीफ माधवी पुरी बुच के साथ उनके संबंधों को लेकर सवाल उठे थे. 

लेकिन इस बार का विवाद सिर्फ बाहरी उम्मीदवार की ही नहीं है. SEBI के कई अधिकारियों ने शिखा गुप्ता की नियुक्ति में SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच के पति धवल बुच के अप्रत्यक्ष प्रभाव होने का आरोप लगाया है. दरअसल, धवल बुच हिंदुस्तान यूनिलीवर में लंबे समय तक महत्वपूर्ण पद पर थे. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं इस नियुक्ति में भी व्यक्तिगत लाभ तो नहीं दिया जा रहा है?

SEBI की निष्पक्षता पर सवाल

सेबी में नियुक्ति को लेकर यह विवाद तब सामने आया है जब SEBI को अपनी निष्पक्षता और साख को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के निर्णय SEBI की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकते हैं. SEBI के अंदर के अधिकारी यह महसूस कर रहे हैं कि बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने से संगठन के कर्मियों का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है.

क्या होगा SEBI का अगला कदम?

SEBI के अंदर बढ़ते असंतोष को देखते हुए यह देखना होगा कि SEBI इस मुद्दे को कैसे संभालता है. क्या संगठन इस विवाद को शांत करने के लिए कोई कदम उठाएग या यह नियुक्ति आगे चलकर और विवादों का कारण बनेगी? इस मामले पर SEBI की ओर से आने वाले फैसले की सभी को प्रतीक्षा है.

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