वाटर बोतल इंडस्ट्री के लोगों को तीन दिनों का समय दिया गया है. बता दें, PSUs और तमाम मंत्रालयों में 15 सितंबर से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगने जा रही है.
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नई दिल्ली: सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) पर बैन लगाने को लेकर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर इंडस्ट्री को तीन दिनों का समय दिया है. इंडस्ट्री के लोगों से कहा गया है कि वे प्लास्टिक बोतल के विकल्प का प्रस्ताव लेकर सामने आएं. बता दें, आज इसको लेकर कैबिनेट सचिव की बैठक होने जा रही है, जिसमें अहम फैसले लिए जा सकते हैं.
सोमवार को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ इंडस्ट्री के लोगों की बैठक हुई थी, जिसमें दूसरे मंत्रालयों के सचिव भी मौजूद थे. इस बैठक में कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया कि सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह पर PET बोतल का इस्तेमाल किया जा सकता है. कुछ लोगों ने कार्डबोर्ड पैकिंग को इस्तेमाल में लाने की सलाह दी. वहीं, कुछ लोगों का यह प्रस्ताव था कि शीशे का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, शीशे की री-साइकिलिंग आसान नहीं है और यह महंगा भी है.
इस बैठक के बाद जी बिजनेस के साथ खास बातचीत में AAVA नैचुरल मिनिरल वाटर के मैनेजिंग डायरेक्टर ब्रह्म मेहता ने कहा, भारत ने 92 फीसदी PET प्लास्टिक री-साइकिलिंग कर विश्व में रिकॉर्ड स्थापित किया है. अगर SUP के इस्तेमाल से बचना है तो PET प्लास्टिक सबसे उपयुक्त विकल्प है. शीशे का इस्तेमाल इसलिए, संभव नहीं है कि इसके निर्माण में उर्जा और पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि अगर सिंगल यूज प्लास्टिक पर अचानक से बैन लगा दिया जाता है तो 1 करोड़ लोगों के रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे. यह फैसला MSME सेक्टर को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि ज्यादातर कंपनियां के लिए दूसरे विकल्प (जो महंगे हैं) को चुनना आसान नहीं होगा.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव एके श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में कई विकल्पों पर चर्चा हुई. फिलहाल, कार्डबोर्ड बोतल के इस्तेमाल पर एक राय बनती नजर आ रही है. हालांकि, इसमें भी प्लास्टिक और मेटल का इस्तेमाल होता है. इंडस्ट्री के लोगों को तीन दिनों का समय दिया गया है. बता दें, PSUs और तमाम मंत्रालयों में 15 सितंबर से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगने जा रही है.