Soap Price News: देश में बढ़ती महंगाई का असर अब रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर देखी जा रही है. पामतेल की कीमत बढ़ने से साबुन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली HUL और विप्रो जैसी प्रमुख कंपनियों ने पामतेल कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए साबुन की कीमतों में लगभग सात से आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी की है.


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पामतेल, साबुन उत्पाद का एक प्रमुख कच्चा माल है. एचयूएल और टाटा कंज्यूमर जैसी कंपनियों ने हाल ही में चाय की कीमतों में भी वृद्धि की है, क्योंकि अनियमित मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट आई है. सितंबर तिमाही के परिणामों के दौरान कई सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए चालू तिमाही में साबुन की कीमतों में वृद्धि का संकेत दिया. ये कंपनियां पामतेल, कॉफी और कोको जैसे जिंसों की लागत में वृद्धि का सामना कर रही थीं. 


7-8 प्रतिशत मूल्य वृद्धि


विप्रो कंज्यूमर केयर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीरज खत्री ने एजेंसी से बात करते हुए कहा है, "साबुन बनाने में प्रमुख कच्चे माल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसमें इस साल की शुरुआत से 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है." 


उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप सभी प्रमुख कारोबारियों ने वृद्धि को आंशिक रूप से संतुलित करने के लिए लगभग सात-आठ प्रतिशत की मूल्य वृद्धि की है. हमारे मूल्य निर्धारण समायोजन इन बाजार रुझानों के अनुरूप हैं. अजीम प्रेमजी के नेतृत्व वाली विप्रो एंटरप्राइजेज की इकाई विप्रो के पास संतूर जैसे ब्रांड हैं. 


पामतेल की कीमतों में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि


अग्रणी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने चाय और त्वचा की सफाई करने वाले उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि की है. इनमें डव, लक्स, लाइफबॉय, लिरिल, पीयर्स, रेक्सोना आदि ब्रांड के तहत इसका साबुन कारोबार शामिल है. 


आयात शुल्क बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण सितंबर के मध्य से पामतेल की कीमतों में लगभग 35-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पाम तेल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है. वर्तमान में पामतेल की कीमत लगभग 1,370 रुपये प्रति 10 किलोग्राम है. 


इनपुट- भाषा