पिछले साल नवंबर में डीएफसी (DFC) ने श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) नामक गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल के विकास, निर्माण और संचालन का समर्थन करने के लिए 55.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने पर सहमति जताई थी.
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Colombo Port Project: श्रीलंका के पोर्ट मिनिस्टर विमल रत्नायका ने कहा कि सरकार चाहती है कि कोलंबो पोर्ट पर गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल परियोजना आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि इसे अडानी के नेतृत्व वाले ग्रुप की तरफ से अपने दम से पूरा करने में किसी तरह की समस्या नहीं है. अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड ने पिछले दिनों शेयर बाजार को बताया कि प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में चालू होने के लिए तैयार है. कंपनी ने साथ ही कहा कि वह अपनी पूंजी मैनेजमेंट के साथ आंतरिक सोर्स से इस प्रोजेक्ट को वित्तपोषित करेगी.
हम इसे आगे बढ़ते देखना चाहते हैं
इसके बाद पोर्ट के दौरे के दौरान रत्नायका ने कहा, 'बंदरगाह को रेवेन्यू मिले, इसलिए यह एक बहुत ही अहम प्रोजेक्ट है, हम इसे आगे बढ़ते देखना चाहते हैं.' उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप के अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (DFC) से मदद को अस्वीकार करने का फैसला उसका अपना था और श्रीलंका को इससे कोई समस्या नहीं है. पिछले साल नवंबर में डीएफसी (DFC) ने श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) नामक गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल के विकास, निर्माण और संचालन का समर्थन करने के लिए 55.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने पर सहमति जताई थी.
अमेरिकी सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा
सीडब्ल्यूआईटी (CWIT) का विकास अडानी पोर्ट्स, श्रीलंकाई ग्रुप जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के गठजोड़ द्वारा किया जा रहा है. डीएफसी का वित्तपोषण क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा था. अधिकारियों ने बताया कि ऋण प्रक्रिया तब रुक गई, जब डीएफसी ने अडानी और एसएलपीए के बीच हुए करार को उनकी शर्तों के अनुसार संशोधित करने के लिए कहा.
अब दरअसल परियोजना पूरी होने के करीब है, इसलिए अदाणी पोर्ट्स ने डीएफसी से वित्त पोषण के बिना परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया. रत्नायका ने कहा कि सरकार अभी भी अदाणी की एक अन्य परियोजना - मन्नार के पूर्वोत्तर जिले में पवन ऊर्जा परियोजना - का विरोध कर रही है, क्योंकि यह श्रीलंका के हितों के खिलाफ है. (भाषा)