RERA कानून के बाद निर्माणाधीन संपत्तियों में NRI की दिलचस्पी बढ़ी
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RERA कानून के बाद निर्माणाधीन संपत्तियों में NRI की दिलचस्पी बढ़ी

 देश में घर खरीदने वालों को बिल्डरों की चालबाजियों और परेशानियों से बचाने के लिये रीयल एस्टेट नियमन प्राधिकरण (रेरा) को लागू किया गया है.

पहले रेडी-टू-मूव में थी ज्यादा दिलचस्पी. (फाइल)

नई दिल्ली: रीयल एस्टेट क्षेत्र में नियमन के लिये रेरा (RERA) कानून लागू होने के बाद देश में निर्माणाधीन परिसंपत्तियों में प्रवासी भारतीयों की रुचि एक बार फिर से बढ़ने लगी है. रीयल्टी पोर्टल हाउसिंग एंड मकान डॉट कॉम के एक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है. देश में घर खरीदने वालों को बिल्डरों की चालबाजियों और परेशानियों से बचाने के लिये रीयल एस्टेट नियमन प्राधिकरण (रेरा) को लागू किया गया है. 

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘परियोजनाओं के पूरा होने में लगातार देरी को देखते हुये निवेशक इनसे लगातार दूर होते चले गये. प्रवासी भारतीयों को खासतौर से निर्माणाधीन परियोजनायें काफी पसंद आती हैं, लेकिन देरी के कारण उनकी इसमें रुचि कम होती चली गई. अब रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये कानून बन जाने के बाद इस रुख में बदलाव आने लगा है.’’

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अध्ययन के मुताबिक इससे पहले रेडी-टू-मूव-इन यानी रहने के लिए तैयार और निर्माणाधीन परियोजनाओं के मामले तरजीह देने का अनुपात 67:33 था जो कि अब सुधरकर 56:44 हो गया है. इसके साथ ही निर्माणाधीन परियोजनाओं के मामले में जीएसटी दर को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत पर ला दिया गया है जबकि सस्ती परियोजनाओं के मामले में इसे आठ से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है. तैयार फ्लैट पर शून्य जीएसटी लागू है. 

रीयल्टी पोर्टल हाउसिंग एंड मकान सिंगापुर सथिति एलारा टेक्नोलॉजीज का हिस्सा है. इसे न्यूज कार्प और साफ्टबैंक का समर्थन प्राप्त है. पोर्टल का कहना है कि उसके हाउसिंग एंड मकान डॉट काम पर जानकारी लेने और देखने वालों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ी है. 
अमेरिका, यूएई, ब्रिटेन तथा सिंगापुर के प्रवासी भारतीयों की भारतीय रीयल एस्टेट बाजार में रुचि लगातार बढ़ रही हे. कुल खरीदारों में इनका हिस्सा करीब 55 प्रतिशत है. 

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