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नई दिल्ली: आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. हाल ही में की गई एक रिसर्च में सामने आया है कि जिन कंपनियों को महिलाएं चलाती हैं वो पुरुषों के वर्चस्व वाली कंपनियों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं. रिसर्च में कहा गया है कि महामारी के बाद ब्रिटेन में महिलाओं को आर्थिक सुधार में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए.
हाउस ऑफ कॉमन्स की एक स्टडी के मुताबिक, सरकार पर कोरोनोवायरस महामारी के दौरान महिलाओं की जरूरतों को नजरअंदाज करने और उन्हें ठीक करने की योजनाओं में साइड-लाइन करने का आरोप लगाते हुए, महिलाओं और समानता के लिए छाया सचिव, एनेलिस डोड्स ने कहा कि डेटा से पता चलता है कि महिलाओं के पास एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने की पॉवर है. लेकिन निवेश की कमी और देश के कुछ हिस्सों में 'चाइल्डकेयर डेजर्ट्स' के जोखिम के कारण उन्हें मौके नहीं दिए जाते.
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गार्जियन से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'जब आप महिलाओं से अधिक जुड़ाव रखते हैं और महिलाओं के हाथ में पॉवर होती है तो ऐसे बिजनेस ज्यादा सफल होते हैं.' उन्होंने कहा कि 'हमारी प्रतिबद्धता शुरू से ही महिलाओं की चिंताओं और समानता के अन्य मुद्दों पर विचार करने की है. वर्तमान सरकार के साथ समस्या यह है कि वे अंत तक महिलाओं की चिंताओं से निपट भी नहीं रही हैं, वे उन पर बिल्कुल भी विचार नहीं कर रही हैं.'
आपको बता दें कि ये स्टडी इंटरनेशनल वूमेंन्स डे से कुछ दिन पहले ही आई है. इसके लिए हाउस ऑफ कॉमन्स लाइब्रेरी से डेटा इकठ्ठा किया गया था. इसने मैकिन्से की रिसर्च का हवाला दिया जो दिखाता है कि कार्यकारी टीमों पर लिंग विविधता ( gender diversity) के लिए शीर्ष कंपनियों को नीचे की कंपनियों की तुलना में 25% अधिक लाभ होने की संभावना थी, जबकि 30% से ज्यादा महिला अधिकारियों वाली कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना थी.
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डेटा से पता चलता है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएमई आर्थिक उत्पादन में लगभग 85 बिलियन पाउंड का योगदान करते हैं, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि केवल 16% छोटे व्यवसाय नियोक्ता और तीन में से एक बिजनेसमेन महिला हैं. इस बात के भी सबूत हैं कि पुरुषों की तुलना में बिजनेस के लिए कम महिलाओं को लोन और अन्य इन्वेस्टमेंट मिल पाता है.