इस बार कड़ाके की ठंड के बाद राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में फरवरी में ही तापमान तेजी से बढ़ा है. राजधानी दिल्ली में फरवरी में तो इतनी गर्मी पड़ी कि कई सालों का रिकॉर्ड ही टूट गया. अब इसके साइडइफेक्ट महंगाई के तौर पर लोगों को दिखेंगे. क्योंकि गर्मियों के कपड़े महंगे होने वाले हैं.
Trending Photos
नई दिल्ली: Summer clothes: फरवरी में बढ़ती गर्मी के साथ अगर आपने अपनी अलमारियों और बक्सों से गर्मी के कपड़े निकालने शुरू कर दिए हैं तो अच्छा है, क्योंकि अगर आप गर्मी के नए कपड़े खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको इसके लिए थोड़ी ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है, क्योंकि गर्मियों के कपड़ों के दाम बढ़ने वाले हैं. दरअसल कपड़ा उद्योग के लिए धागा और कच्चा माल काफी महंगा हो गया है, जिसका असर टी-शर्ट, डेनिम, कॉटन के कपड़ों पर दिख सकता है.
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार मार्च से मई तक गर्मी तेज होगी. मौसम विभाग के मुताबिक, 'आने वाले ग्रीष्मकाल में (मार्च से मई तक) उत्तर, पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों और मध्य भारत के पूर्वी और पश्चिमी भागों के कुछ हिस्सों और उत्तरी प्रायद्वीप के तटीय हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहने की आशंका है.
लुधियाना की होजरी और गारमेंट इंडस्ट्री को गर्मियों से बड़ी उम्मीद है. उन्हें लगा कि सर्दियों के सीजन में कोरोना की वजह से नुकसान हुआ था उसकी भरपाई इस बार की गर्मी में हो जाएगी. लेकिन कपड़ों की बढ़ी कीमतों ने लुधियाना की गारमेंट इंडस्ट्री की चिंता भी बढ़ा दी है. सुदर्शन जैन जो कि अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के अध्यक्ष हैं, उन्होंने बताया कि लॉकडाउन और मजदूरों की कमी से जूझ रही इंडस्ट्री के लिए महंगे धागे और कपड़े चिंता का विषय है.
कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि डिमांड में आई अचानक बढ़ोतरी और इंपोर्ट में कमी का असर दिख रहा है, ऐसे में धागों के दाम 30 परसेंट तक बढ़े हैं. कंपनियां नहीं चाहते हुए भी दाम बढ़ाने पर मजबूर हैं. अनुमान है कि इस गर्मी में कपड़ों के दाम 10-15 परसेंट तक बढ़ सकते हैं.
कपड़ो उद्योग के मुताबिक, टी शर्ट- स्पोर्ट्स वियर में इस्तेमाल होने वाला लाइक्रा नवंबर में 400 रुपए प्रति किलो था जो अब बढ़कर 800 रुपए प्रति किलो हो गया है. वहीं कॉटन समेत बाकी यार्न की कीमत भी लगभग 35-100 रुपए तक बढ़ी है. अनुमान है कि कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से 300 करोड़ से ज्यादा का बोझ इंडस्ट्री पर आएगा. लुधियाना की होजरी इंडस्ट्री का लगभग 5000 करोड़ रुपये का कारोबार गर्मियों के कपड़ों से होता है.
सिंथेटिक वीविंग मिल्स एसोसिएशन, भीलवाड़ा के उपाध्यक्ष रमेश अग्रवाल ने कहा कि पॉलिएस्टर और टेक्सचराइज सूटिंग पिछले साल फरवरी की तुलना में करीब 12-18 रुपए प्रति मीटर महंगा हुआ है. कॉटन कपड़ा 25 से 40 रुपए प्रति मीटर और डेनिम का प्रति मीटर 30 से 45 रुपए महंगा हो गया है. पॉलिएस्टर व टेक्सचराइज सूटिंग भी महंगा हुआ है. यह तेजी जून तक ऐसे ही चलने की उम्मीद है.
कपड़ा पहले कीमत अब कीमत महंगा हुआ
कॉटन 135-145 165- 180 25-40
पॉलिएस्टर 45-90 60-105 15
डेनिम 180-240 215-295 35-45
(रुपये/मीटर)
रमेश अग्रवाल ने बताया कि भीलवाड़ा कपड़ा मंडी में पहली बार एक साल में यार्न के भावों में इतनी तेजी आई है, जिससे कपड़ा भी महंगा हुआ है. हालांकि धागों की कीमतें अचानक हुई बढ़ोतरी के मद्देनजर भीलवाड़ा की यार्न मिलों ने धागों की मैन्युफैक्चरिंग को 100% तक बढ़ा दिया है. इसके बावजूद मांग पूरी नहीं कर पा रहे है.
ये भी पढ़ें- CNG-PNG Prices Today: बढ़ गए CNG, PNG के दाम तो क्या? ऐसे मिलेगा कैशबैक और डिस्काउंट
LIVE TV