सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की याचिका स्वीकार कर उन्हें बड़ी राहत दी है.
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नई दिल्ली: मालेगांव ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपित ले. कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली. कर्नल ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधी कानून (यूएपीए) के तहत अभियोजन पक्ष की याचिका को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित की याचिका पर कहा कि वह ब्लास्ट मामले में आरोप तय होने के समय इस पर सुनवाई करेगा. यह धमाके 2008 में हुए थे. मालेगांव के अंजुमन चौक पर हुए धमाके में 6 लोग मारे गए थे और 101 घायल हुए थे. पुलिस ने जब इस मामले में कर्नल को गिरफ्तार किया था तब वह सेना की मिलिटरी इंटेलिजेंस के लिए काम कर रहे थे. इससे पहले जनवरी में शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से कर्नल की याचिका पर जवाब मांगा था. इस मामले में कर्नल पुरोहित को 21 अगस्त 2017 को जमानत मिली.
Col Prasad Shrikant Purohit leaves from Supreme Court. He had challenged the prosecution sanction for his trial under the Unlawful Activities Prevention Act (UAPA). The Court observed that the matter would be heard at the timing of framing of charges in the Malegaon blast case. pic.twitter.com/QWdKWB5roQ
— ANI (@ANI) April 20, 2018
पुरोहित पर मकोका की धाराएं लगी थीं
महाराष्ट्र एटीएस ने पहले इस ब्लास्ट मामले की जांच की थी. उसने मामले के आरोपियों पर मकोका की धाराएं लगाईं. एटीएस ने चार्जशीट में कर्नल के खिलाफ हिन्दुत्व को बढ़ावा देने और लोगों के मन में डर पैदा करने के लिए धमाके करवाने का आरोप लगाया है. एटीएस का कहना है कि कर्नल के संगठन 'अभिनव भारत' ने धमाकों की साजिश रची. 2011 में सरकार ने एटीएस से मामले की जांच लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी. 2016 में कर्नल के खिलाफ एनआईए कोर्ट ने ये धाराएंं हटा ली थीं.
याचिका को पहले ठुकरा चुका है बांबे हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में पुरोहित की दलील है कि अभियोजन पक्ष ने बिना जरूरी मंजूरी के उन पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए हैं. इसके लिए उन्होंने पहलेे बांबे हाईकोर्ट में भी याचिका डाली थी जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था. इसके बाद कर्नल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की, जिसमें पीठ ने निचली अदालत की कार्यवाही में दखल देने से इनकार कर दिया था. इससे पहले एनआईए कोर्ट ने 27 दिसंबर 2017 को अपने आदेश में कहा था कि वह सिर्फ यूएपीए के तहत आरोपों पर सुनवाई करेगी. मकोका के तहत लगे आरोपों से उसने कर्नल को बरी कर दिया था.