सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद भारत-पाक के बीच तनाव ने बढ़ाई सोने-चांदी की बिक्री
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सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद भारत-पाक के बीच तनाव ने बढ़ाई सोने-चांदी की बिक्री

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने सोना-चांदी की बिक्री बढ़ा कर ज्वैलर्स को मालामाल कर दिया. सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा है ना! वित्त मंत्रालय को भी ऐसा ही लगा.

सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद भारत-पाक के बीच तनाव ने बढ़ाई सोने-चांदी की बिक्री

नई दिल्‍ली: सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) ने देश में ज्वैलर्स की बिक्री बढ़ा दी. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने सोना-चांदी की बिक्री बढ़ा कर ज्वैलर्स को मालामाल कर दिया. सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा है ना! वित्त मंत्रालय को भी ऐसा ही लगा. दरअसल नोटबंदी के बाद ज्वैलर्स ने करोड़ों का अनअकाउंटेड पैसा बैंको में जमा कराया और इतनी बड़ी रकम को अपने रिटर्न में भी नहीं दिखाया. जब टैक्स विभाग ने पूछा कि कहां से आया इतना धन तो कुछ का जवाब मिला कि सर्जिकल स्ट्राइक की वजह से हमारी कमाई बढ़ गई, वहीं से आया ये धन और कुछ इसका सटीक जवाब नहीं दे पाए.

वित्त मंत्रालय के तहत स्पेशल टीम के डेटा एनालिसिस प्रोसेस से ये ज्वैलर्स अब टैक्स विभाग के हत्थे चढ़ गए हैं. इनमें से कुछ मामले तो ऐसे हैं जहां पिछले साल की तुलना में 93,648 %, जी हां आपने सही पढ़ा...93,648 परसेंट का कैश बढ़ा और इस कैश का जिक्र साल 2017-18 में भरे जाने वाले रिटर्न में भी नहीं किया गया.

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गुजरात का मामला
एक मामला गुजरात का था जिसमें 2016 के 11वें और 12वें महीने में 4,14,93,000 रुपये जमा किये गए जबकि इसके पिछली साल केवल 44,260 रुपये जमा किये गए थे. वहीं नोटबंदी के दौरान कुछ लोगों ने भाई बंदी में लोन लिया हुआ दिखाया. ऐसे अनसिक्योर्ड लोन की संख्या बढ़ गई थी. इनका सब कुछ ठीक चल रहा था तब तक...जब तक ये इनकम टैक्स विभाग की नजर में नहीं आए लेकिन चालाकी ज्यादा दिन तक नही चली और इनकम टैक्स विभाग के हत्थे चढ़ ही गए.

एक दूसरा मामला ऐसा था कि ज्वैलर ने सालाना इनकम दिखाई 64,550 रुपये जबकि नोटबंदी के दौरान उसने 72 लाख रुपये का कैश जमा किया. ऐसे ही एक ने 3.23 करोड़ रुपये इनकम दिखाई जबकि उसने 52.26 करोड़ रुपये कैश जमा किया और तो और इन महाशय ने 2015 में कैश इन हैंड 2.64 लाख करोड़ दिखाया जबकि 2016 में इनके पास 6.22 करोड़ रुपये निकला. यानि ये 23,490 परसेंट की बढ़ोतरी थी. ऐसे ही एक ने 11 लाख रुपये दिखाया लेकिन कैश डिपॉजिट 3.15 किया.

सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर मामलों में मॉडस ऑपरेंडी (आपाराधिक काम का तरीका) बिक्री बढ़ना या अनजाने लोगों से लोन लेना बताया, कुछ ने नोटबंदी से पिछले महीने उधार में सोने-चांदी की बिक्री दिखाई और कहा कि नोटबंदी के अगले महीने ही वो उधार उन लोगों ने वापस दे दिये. और इस खरीद बिक्री के बिल भी उन्होंने जारी नहीं किये.

इनमें से कुछ लोगों ने टैक्स फॉर्म भरते समय प्रॉफिट और लॉस अकाउंट को ही नहीं भरा. कुल मिलाकर ये कैश की रकम खपाने के लिये किसी ने लोन का सहारा लिया तो किसी ने उधार वापसी या किसी ने बिक्री का सहारा लिया और बिक्री बढ़ने का कारण बताया कि उरी में सर्जिकल स्ट्राइक से लोगों को लगा कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की वजह से ज्यादा सोना-चांदी खरीदना चाहिए. इसलिये उन जैसे ज्‍वैलर्स की बिक्री खूब बढ़ी. जबकि इतनी बड़ी खरीद-बिक्री हो रही थी तब भी उनका बिजली का बिल वहीं पुराना यानी हजार- दो हजार टाइप आ रहा था. इस तरह का मिसमैच टैक्स विभाग के डेटा एनालिट्क्स में पकड़ में आ गया.

यानी नोटबंदी में जिन ज्वैलर्स ने सोने-चांदी से खूब चांदी काटी, अपना काला धन खपाया वो पकड़ में आ गए. देखा जाए तो ये मोदी सरकार के उस दावे को पुख्ता करता है जिसमें सरकार लगातार कहती रही है कि काले धन की वजह से नोटबंदी हुई. एक तरह से नोटबंदी वो जाल थी जिसमें मोटी मछलियां फंस गई और अब तक उसके सबूत गाहे-बगाहे मिल ही रहे हैं.

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