हर मोबाइल यूजर्स के पास अनचाहे कॉल्स आते हैं, मैसेज आते हैं और दिनभर में आए इन कॉल्स और मैसेज से आप परेशान भी होते होंगे. लेकिन, अब इन अनचाहे कॉल्स और मैसेज के जल्द छुटकारा मिल जाएगा.
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नई दिल्ली: हर मोबाइल यूजर्स के पास अनचाहे कॉल्स आते हैं, मैसेज आते हैं और दिनभर में आए इन कॉल्स और मैसेज से आप परेशान भी होते होंगे. लेकिन, अब इन अनचाहे कॉल्स और मैसेज के जल्द छुटकारा मिल जाएगा. दरअसल, टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने स्पैम कॉल्स और स्पैम मैसेज को लेकर नए नियमों का ऐलान किया है. नय नियमों के तहत टेलीमार्केटिंग कॉल्स और मैसेज भेजने के लिए यूजर की सहमति को अनिवार्य कर दिया गया है.
रजिस्टर्ड सेंडर ही भेज सकेंगे मैसेज
रेग्युलेटर ने टेलीकॉम ऑपेरटर्स को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि कमर्शियल कम्युनिकेशन केवल रजिस्टर्ड सेंडर्स ही कर सकें. ट्राई ने बयान में कहा, 'रेग्युलेशन में पूरी तरह बदलाव जरूरी हो गया था. नए नियम का उद्देश्य यूजर्स को स्पैम से हो रही परेशानी को प्रभावी रूप से रोकना है.' सर्विस प्रोवाइडर इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि यूजर्स की अनुमति के बिना इस तरह कॉल्स और मैसेज उन तक न पहुंचें.
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यूजर्स का होगा पूरा नियंत्रण
नए नियमों के तहत सेंडर्स के रजिस्ट्रेशन और सब्सक्राइबर्स की सहमति को अनिवार्य किया गया है. ट्राई ने कहा कि कुछ टेलीमार्केटिंग कंपनियां चोरी छिपे ग्राहकों की जानकारी हासिल करती हैं और मंजूरी हासिल करने का दावा करती हैं. लेकिन, हकीकत में वह चोरी छिपे ही यह काम करती हैं. नए नियमों में यह व्यवस्था होगी कि उपभोक्ताओं का अपनी मंजूरी पर पूरा नियंत्रण होगा. उनके पास पहले दी गई मंजूरी को वापस लेने का भी विकल्प होगा.
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50 लाख रुपए तक का जुर्माना
ट्राई ने कहा, सब्सक्राइबर्स की सहमति रजिस्ट्रेशन से मौजूदा नियमों का दुरुपयोग रुक सकता है.' नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उल्लंघन की श्रेणी के मुताबिक, 1,000 रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक का जुर्मना लगाया जा सकता है. नया नियम सब्सक्राइबर्स को सहमति पर पूर्ण नियंत्रण देता है और पहले दी गई सहमति को वापस भी ले सकता है.
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यूजर्स की मंजूरी जरूरी
इससे पहले ट्राई ने निजता से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण सिफारिश की है. ट्राई ने कहा कि जो कंपनियां उपयोगकर्ता से जुड़ी जानकारी (डेटा) संग्रह कर रही हैं, उनका उस पर कोई अधिकार नहीं है. ट्राई ने इस बात पर जोर दिया कि जानकारी प्राप्त करने को लेकर उपभोक्ताओं की सहमति जरूरी है और उन्हें उसे भूला दिए जाने का भी अधिकार मिलना चाहिए. नियामक ने दूरसंचार विभाग को दी सिफारिश में कहा कि कंपनियों को उपयोगकर्ताओं की पहचान के लिये उससे जुड़ी जानकारी का उपयोग नहीं करना चाहिए और अगर डेटा में कोई सेंध लगता है, उसका खुलासा किया जाना चाहिए.