Union Budget 2018: न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स के नियमों में बदलाव कर सकता है वित्त मंत्रालय
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Union Budget 2018: न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स के नियमों में बदलाव कर सकता है वित्त मंत्रालय

दो प्रमुख उद्योग मंडलों फिक्की और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को मैट के प्रभाव को कम करने की सलाह दी है.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय आगामी बजट में अमेरिका में कर सुधारों के प्रभाव से निपटने के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) पर प्रावधानों में बदलाव कर सकता है. विशेषज्ञों ने यह राय जताई है. आयकर कानून में मैट को पेश करने का मकसद सभी शून्य कर वाली कंपनियों को इसमें लाना और कुछ लाभ-प्रोत्साहनों के असर को तटस्थ करना है. दो प्रमुख उद्योग मंडलों फिक्की और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को मैट के प्रभाव को कम करने की सलाह दी है. उद्योग मंडलों का कहना है कि इससे कंपनियों का नकदी प्रवाह उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हुआ है.

  1. कॉरपोरेट कर की दरों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है.
  2. आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है.
  3. आयकर कानून में मैट को पेश करने का मकसद सभी शून्य कर वाली कंपनियों को इसमें लाना है.

कर विशेषज्ञ और शार्दुल अमरचंद मंगलदास के भागीदार अमित सिंघानिया ने कहा कि अमेरिका में हाल में कंपनी कर की दर में कटौती को देखते हुए 2018-19 के बजट में कॉरपोरेट कर की दरों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है. आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है. उन्होंने कहा कि लाभांश के रूप में विदेशी अनुषंगियों से कोष प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह के लाभांश पर मैट में कटौती वांछित है.

वित्त मंत्रालय को दिए ज्ञापन में फिक्की ने कहा है कि कानून के तहत मुक्तता और कटौती को धीरे-धीरे समाप्त करने के साथ मैट के बोझ में भी धीरे-धीरे कमी की जानी चाहिए. फिलहाल मैट की दर 18.5 प्रतिशत है. सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि सभी प्रोत्साहनों को समाप्त किए जाने के मद्देनजर मैट को भी हटाया जाना चाहिए या फिर इसकी दर को घटाकर 10 प्रतिशत पर लाया जाना चाहिए.

बजट सत्र में पारित हो सकता है श्रम सुधारों पर पहला विधेयक

वहीं दूसरी ओर सरकार इस साल श्रम क्षेत्र में व्यापक सुधारों को आगे बढ़ाना चाहती है. इसकी शुरुआत बजट सत्र में हो सकती है. इस दौरान सरकार श्रम क्षेत्र में ‘वेतन संहिता विधेयक’ को पारित कराने का प्रयास करेगी. इससे सरकार को विभिन्न क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार मिल जायेगा. एक सूत्र ने कहा, ‘वेतन संहिता विधेयक पहली श्रम संहिता होगी जिसे पारित करने के लिए बजट सत्र में पेश किया जाएगा. श्रम मंत्रालय को उम्मीद है कि संसद की प्रवर समिति इस महीने के आखिर में शुरू हो रहे बजट सत्र में इस विधेयक को पेश कर देगी.’ लोकसभा में इस विधेयक का ड्राफ्ट अगस्त 2017 में पेश किया गया था जिसके बाद इसे समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था.

इस विधेयक में वेतन भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1949, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 और समान मेहनताना अधिनियम 1976 को मिलाकर एक संहिता बना दिया गया है. श्रम व रोजगार मंत्रालय 44 विभिन्न श्रम कानूनों को मिलाकर चार विस्तृत संहिताएं बनाने पर काम कर रहा है. सूत्र ने कहा, ‘अन्य तीन संहिताएं संबंधित पक्षों से परामर्श के विभिन्न स्तरों पर हैं. इन विधेयकों को भी इसी साल संसद में पेश किया जा सकता है.’

(इनपुट एजेंसी से भी)

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