बेंगलुरु : ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने गो एयर और इंडिगो को ‘निर्दोष’ तीसरा पक्ष बताते हुए बैंकों को विजय माल्या के मामले में इन दोनों एयरलाइंस को भी पक्ष बनाने के लिए सामान्य और लापरवाह तरीके भरा अंतरिम आवेदन दायर करने के लिए लताड़ लगाई है।
डीआरटी के पीठासीन अधिकारी के श्रीनिवासन ने अपने आदेश में कहा, ‘बैंकरों ने अपना आवेदन बेहद लापरवाह तथा सामान्य तरीके से दायर किया। इस मामले में जरूरी आवश्यक ब्योरा इसमें नहीं है।’ यह आदेश ओरियंटल बैंक आफ कामर्स (ओबीसी) की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ की भुगतान वसूली के लिए दायर संशोधित अपील पर 18 अक्तूबर को दिया गया।
उसी दिन डीआरटी ने यूरोपीय विमान विनिर्माता एयरबस को उसके पास वह 192.51 करोड़ रपये जमा कराने का भी निर्देश दिया जिसका भुगतान बैंकों द्वारा किंगफिशर एयरलाइंस के लिए विमानों की डिलीवरी के पूर्व भुगतान किया गया था। माल्या के नियंत्रण वाली यह एयरलाइन अब बंद पड़ी है। ओबीसी, कॉरपोरेशन बैंक तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने किंगफिशर एयरलाइंस की ओर से 192.51 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान एयरबस को किया था। दोनों पक्षों ने 2005 में खरीद करार पर दस्तखत किए थे, लेकिन इन विमानों की आपूर्ति नहीं की गई।
चूंकि एयरबस डिलीवरी पूर्व किए गए भुगतान को लौटाने में विफल रही थी, इसलिए बैंकों के कंसोर्टियम ने धन की वसूली के लिए ‘कर्ता आदेश’ प्रक्रिया के तहत गोएयर तथा इंडिगो को पक्ष बनाने के लिए आवेदन किया था। कर्ता आदेश के तहत कोई कर्जदात अपने कर्जदार पर बकाया सम्पत्ति की वसूली कर्जदार की तीसरे पक्ष के पास पड़ी सम्पत्ति से कर सकता है। बैंकों ने अपनी अपील में इन बजट विमानन कंपनियों को यह निर्देश देने की मांग की थी उनके द्वारा एयरबस को जो राशि दी जानी है वे उसे उसके पास जमा कराएं।