RBI की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मजबूत पक्षधर थे डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य
रिजर्व बैंक में पिछले ढाई साल से काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. इसकी शुरुआत नीति निर्माण में परिवर्तन के साथ हुई थी और दर तय करने का काम छह सदस्यीय समिति को दे दिया गया था.
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मुंबई: रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद से इस्तीफा देने वाले विरल आचार्य केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मजबूत पक्षधर थे. आचार्य का यह मानना था कि आरबीआई की स्वतंत्रता आर्थिक प्रगति और वित्तीय स्थिरता के लिए आवश्यक है. आचार्य ने एक तरह की चेतावनी देते हुए पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि केन्द्रीय बैंक की स्वतंत्रता को यदि कमतर आंका गया तो इसके ‘‘घातक’’ परिणाम हो सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के अपने तीन साल के कार्यकाल के पूरा होने से छह माह पहले ही पद छोड़ने वाले आचार्य मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख थे. विरल आचार्य ने कहा था कि कई देशों में केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता के साथ समझौता किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र केंद्रीय बैंक अपने रुख पर अडिग रहेंगे.
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक में पिछले ढाई साल से काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. इसकी शुरुआत नीति निर्माण में परिवर्तन के साथ हुई थी और दर तय करने का काम छह सदस्यीय समिति को दे दिया गया था. विशेषज्ञों ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया था. इसके बाद पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया था.
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पटेल के इस्तीफा के बाद से ही आचार्य के पद छोड़ने की अटकलें लगनी तेज हो गयी थीं, जिसके बाद आरबीआई ने स्पष्टीकरण देकर इस बात से इनकार किया था. आचार्य ने केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच तनातनी के मध्य एक भाषण में बहुत मजबूती से आरबीआई की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया था.
आचार्य 2020 के बजाय अगस्त में ही न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न बिजनेस स्कूल में वापसी करेंगे.
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