वोडाफोन आइडिया के विलय से बनने वाली इकाई के चेयरमैन होंगे कुमार मंगलम
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वोडाफोन आइडिया के विलय से बनने वाली इकाई के चेयरमैन होंगे कुमार मंगलम

आइडिया सेल्यूलर ने शेयर बाजारों को सूचित किया है कि बालेश शर्मा नयी इकाई के सीईओ यानी मुख्य कार्याधिकारी होंगे.

भारत में 2007 में प्रवेश के साथ वोडाफोन देश की दूसरे नंबर की ऑपरेटर बन गई थी.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आइडिया सेल्यूलर व वोडाफोन ग्रुप ने उनके विलय से बनने वाली इकाई के लिए नयी टीम की घोषणा आज(22मार्च) की. इसके तहत कुमार मंगलम बिड़ला नई इकाई के गैर कार्यकारी चेयरमैन होंगे. आइडिया सेल्यूलर ने शेयर बाजारों को सूचित किया है कि बालेश शर्मा नयी इकाई के सीईओ यानी मुख्य कार्याधिकारी होंगे.

  1. नई कंपनी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी होगी 
  2. दोनों कंपनियों ने पिछले साल कारोबार के विलय की घोषणा की
  3. शर्मा इस समय वोडाफोन इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी हैं.

शर्मा इस समय वोडाफोन इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी हैं. आइडिया सेल्यूलर ने कहा है, ‘ आइडिया सेल्यूलर व वोडाफोन इंडिया की मौजूदा नेतृत्व टीमें अपने अलग अलग कारोबारों का प्रबंधन जारी रखेंगी और विलय के प्रभावी होने तक प्रत्येक कंपनी के परिचालनगत निष्पादन के लिए जिम्मेदार होंगी.’

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उल्लेखनीय है कि दोनों कंपनियों ने पिछले साल ही अपने कारोबार के विलय की घोषणा की. नई कंपनी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी होगी जिसकी बाजार भागीदारी 35 प्रतिशत होगी. 

बनेगी देश की नंबर 1 कंपनी
आपको बता दें कि ब्रिटेन के वोडाफोन समूह ने पिछले साल जनवरी माह में ही कहा था कि उसकी भारतीय इकाई आदित्य बिड़ला समूह की आइडिया सेल्युलर के साथ विलय पर बातचीत कर रही है. यह पूर्ण शेयर सौदा होगा और इससे देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी अस्तित्व में आएगी, जो रिलायंस जियो से मिल रही चुनौती का मुकाबला कर सकेगी. विलय के बाद बनी कंपनी मोबाइल दूरसंचार क्षेत्र में एयरटेल को पीछे छोड़ते हुए देश की सबसे बड़ी इकाई होगी.

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल नेटवर्क परिचालक वोडाफोन समूह के भारतीय कारोबार का देश की तीसरी सबसे बड़ी सेल्युलर ऑपरेटर से विलय के बाद एक ऐसी कंपनी अस्तित्व में आएगी जिसके ग्राहकों की संख्या 38.7 करोड़ होगी. यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक में शुमार होगी.

भारत में 2007 में प्रवेश के साथ वोडाफोन देश की दूसरे नंबर की ऑपरेटर बन गई थी. हालांकि, उसे कर संबंधी उलझनों का भी सामना करना पड़ रहा था. हचिसन से भारत में उसके मोबाइल कारोबार के 2007 के अधिग्रहण के सौदे को लेकर कर विभाग की पिछली तारीख से दो अरब डॉलर से अधिक की मांग को लेकर सरकार के साथ वोडाफोन का विवाद चल रहा था. 

इनपुट भाषा से भी 

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