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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी में आम्रपाली ग्रुप (Amrapali Group) की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में अब तक कई फ्लैटों का निर्माण किया जा चुका है और उन्हें सौंपने की तैयारी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पजेशन में देरी के लिए मुआवजा देने की खरीदारों की मांग की जांच करने पर भी सहमति व्यक्त की.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह स्पष्ट कर दिया कि 2019 में रियल एस्टेट फर्म के प्रबंधन को संभालने और लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए रिसीवर नियुक्त करने के बाद किसी भी मुआवजे पर विचार नहीं किया जाएगा.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस यूयू ललित और अशोक भूषण की पीठ ने इस मुद्दे को तय करने के लिए होम बॉयर्स की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी से सहायता मांगी. अदालत ने उन्हें 19 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त रिसीवर और वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणि की अपील के बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि कुछ घर-खरीदारों ने अभी तक सभी बकाया राशि जमा नहीं की है और वे पजेशन में देरी के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
सुनवाई के दौरान खरीदारों के वकील एमएल लाहोटी ने सवाल उठाया कि पिछले साल अगस्त से लेकर अब तक कई फ्लैट बनकर तैयार हो गए हैं, लेकिन अभी तक खरीदारों को पजेशन नहीं मिल पाया है. इस पर कोर्ट रिसीवर ने अपनी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले साल अगस्त से लेकर मार्च 2021 तक एनबीसीसी ने 1487 फ्लैट तैयार कर लिए हैं. हालांकि, फिलहाल यह पता लगाया जा रहा है कि किन खरीदारों के पास बकाया है और किनके पास नहीं है. इसकी जांच पूरी होने के बाद खरीदारों को फ्लैट सौंप दिया जाएगा. इस पर कोर्ट ने विस्तृत परीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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