वर्ष 2017 में रिटर्न नहीं मिलने से 'चांदी' नहीं काट पाए चांदी के निवेशक
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वर्ष 2017 में रिटर्न नहीं मिलने से 'चांदी' नहीं काट पाए चांदी के निवेशक

2014 और 2015 में भी चांदी ने निवेशकों को नकारात्मक रिटर्न दिया.

2016 में चांदी ने निवेशकों को 18.58 प्रतिशत का रिटर्न दिया और यह 39,000 रुपये के स्तर को पार कर गई. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: ज्यादातर निवेशक चांदी को भी सोने की तरह निवेश का सुरक्षित विकल्प मानते हैं, लेकिन वर्ष 2017 में निवेशकों को मायूसी हाथ लगी है. इस साल चांदी के निवेशक चांदी नहीं काट पाए. पूरे साल चांदी के भाव में लगातार उतार-चढ़ाव का सिलसिला चलता रहा. विश्लेषकों का कहना है कि ‘संपत्ति वर्ग’ में इस साल चांदी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. पिछले 12 महीने में औसत आधार पर चांदी के निवेशकों को रिटर्न के बजाय नुकसान हुआ है. हालांकि, दिसंबर के आखिरी सप्ताह में चांदी में उछाल आया है, जिससे इसका भाव पिछले साल के दिसंबर महीने के आसपास पहुंच गया.

  1. 2010 में चांदी ने निवेशकों को 10.41 प्रतिशत का रिटर्न दिया.
  2. 2012 में चांदी ने निवेशकों को 13 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया था.
  3. वर्ष 2013 में चांदी के निवेशकों को 24.25 प्रतिशत का घाटा हुआ.

पिछले साल 30 दिसंबर को चांदी 39,700 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थी, जबकि इस साल 30 दिसंबर को यह 39,900 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास चल रही है. सालाना आधार पर देखा जाए, तो चांदी का भाव लगभग पिछले साल के स्तर के आसपास ही स्थिर है. हालांकि, पूरे साल के दौरान कई ऐसे अवसर आए जबकि चांदी का भाव ऊंचे स्तर पर गया. जनवरी, 2017 में चांदी का भाव 41,900 रुपये प्रति किलोग्राम पर था, जबकि फरवरी में यह 42,000 रुपये के स्तर को पार कर गई. मई में यह फिर 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई. जून में 38,344 रुपये पर पहुंच गई और अगस्त में फिर 39,798 रुपये पर आ गई.

केडिया कमोडिटी कॉमट्रेड के मुख्य शोध विश्लेषक अजय केडिया ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से एसेट क्लास में चांदी का प्रदर्शन खराब रहा है. इसकी प्रमुख वजह चीन और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती है. चांदी में तेजी औद्योगिक मांग पर निर्भर करती है. इस साल बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती की वजह से चांदी की औद्योगिक मांग प्रभावित हुई है जिससे इसका भाव नीचे आया. ’’ केडिया का मानना है कि वर्ष 2018 चांदी के लिए काफी अच्छा हो सकता है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर नए साल में निवेशक अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करते हैं.

2017 में जहां शेयर बाजारों में तेजी की वजह से निवेशकों का रुख शेयरों की ओर रहा है, वहीं 2018 में कम कीमत की वजह से चांदी में निवेश करना अधिक आकर्षक होगा. केडिया कहते हैं कि विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में चांदी का इस्तेमाल होता है. 2018 में निश्चित रूप से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ेगी, जिससे अगले साल यह अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी.

दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल ने कहा कि चांदी में निवेश आज भी सुरक्षित है. गोयल कहते हैं कि चांदी में निवेश में जोखिम कम होता है. ऐसा नहीं है कि आप चांदी में 100 रुपये लगाएं और आपका यह निवेश 20-30 रुपये पर आ जाए. पूरे साल का आकलन किया जाए, तो 2017 में चांदी 42,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक भी गई है, ऐसे में जो भी ‘स्मार्ट’ निवेशक हैं, उन्होंने उस समय चांदी बेचकर मुनाफा कमाया होगा.

ऐतिहासिक रूप से देखा जाए, तो दिसंबर, 2010 को समाप्त साल में चांदी ने निवेशकों को 72 प्रतिशत का रिटर्न दिया था और यह 46,217 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी. इसके अगले साल चांदी ने निवेशकों को 10.41 प्रतिशत का रिटर्न दिया और यह 51,029 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई. 2012 में चांदी ने निवेशकों को 13 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया था और यह दिसंबर 2012 में 57,864 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी. वर्ष 2013 में चांदी के निवेशकों को 24.25 प्रतिशत का घाटा हुआ. इसके बाद 2014 और 2015 में भी इसने निवेशकों को नकारात्मक रिटर्न दिया. 2016 में चांदी ने निवेशकों को 18.58 प्रतिशत का रिटर्न दिया और यह 39,000 रुपये के स्तर को पार कर गई.

गोयल का मानना है कि जिस तरह से अर्थव्यवस्था के हालात सुधर रहे हैं उससे 2018 में चांदी अच्छा रिटर्न देगी. हालांकि, निवेश के मकसद से चांदी खरीदते समय यह जरूर ध्यान रखना चाहिए जब यह तेजी से बढ़ रही हो, तो उस समय बिकवाली की जाए, साल भर इंतजार न किया जाए. 

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