Year Ender 2017: टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री के लिए आसान नहीं नए साल की राह
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Year Ender 2017: टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री के लिए आसान नहीं नए साल की राह

इस साल देश में कपड़ा क्षेत्र का पहला अंतरराष्ट्रीय व्यापार कार्यक्रम भी शुरु किया गया. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को गांधीनगर में की.

राष्ट्रीय कपड़ा नीति अभी तक सामने नहीं आ पायी है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रभावों से जूझ रहे देश के कपड़ा और परिधान उद्योग के लिए 2018 चुनौतीपूर्ण रह सकता है और 2017-18 में इस क्षेत्र से 45 अरब डॉलर निर्यात का लक्ष्य हासिल हो पाने में कठिनाई हो सकती है. निर्यात में लगातार हो रही कमी के बीच परिधान निर्यातकों ने मांग की है कि उनके लिए शुल्क वापसी की दर जीएसटी से पहले वाली स्थिति में यानी 7.5% ही रखी जाए. भारत के परिधान निर्यात में अक्तूबर में मूल्य की दृष्टि से 39% की कमी आई है. हालांकि एक अक्तूबर से शुरु होने वाले कपास वर्ष में भारत का कपास उत्पादन 3.77 करोड़ गांठ रहा है जो इससे पिछले 2016-17 के कपास वर्ष में 3.45 करोड़ गांठ था.

  1. भारत के परिधान निर्यात में अक्तूबर में मूल्य की दृष्टि से 39% की कमी आई है. 
  2. 2017-18 में 45 अरब डॉलर निर्यात का लक्ष्य हासिल हो पाने में हो सकती है कठिनाई.
  3. एक ऑनलाइन पोर्टल ‘इंडिया हैंडमेड बाजार’ भी जनवरी में शुरु किया गया.

कपड़ा मंत्रालय के अनुसार आयात के विकल्प बाइवोल्टाइन रेशम का देश में उत्पादन 2017-18 में बढ़कर 620 टन होने की उम्मीद है जो 2016-17 के 526.6 टन से 19% अधिक है. हालांकि 2017 कपड़ा क्षेत्र के लिए एक मिश्रित साल रहा, जहां बिजली करघा और बुनकरों के लिए कई पहले शुरु की गईं वहीं बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय कपड़ा नीति अभी तक सामने नहीं आ पायी है.

साल के अंत तक आते-आते सरकार ने कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए 1300 करोड़ रुपये की योजना शुरु की. इसका लक्ष्य क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ाना और रोजगार सृजन करना है. इसमें 10 लाख लोगों का कौशल विकास कर उन्हें कपड़ा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रमाणित करना है. इसमें से करीब एक लाख लोग पारंपरिक क्षेत्र में काम करेंगे.

इस साल देश में कपड़ा क्षेत्र का पहला अंतरराष्ट्रीय व्यापार कार्यक्रम भी शुरु किया गया. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को गांधीनगर में की. इसमें 100 से ज्यादा देशों ने प्रतिभाग किया और अनुमानित आधार पर 11,000 करोड़ रुपये मूल्य के 65 सहमति ज्ञापन पत्रों पर हस्ताक्षर हुए. इसके अलावा दस्तकारों और बुनकरों को सीधे बाजार में पहुंच बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल ‘इंडिया हैंडमेड बाजार’ भी जनवरी में शुरु किया गया.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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