नए साल से RBI होम लोन में करने वाला है ये बदलाव, आपका समझना जरूरी
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नए साल से RBI होम लोन में करने वाला है ये बदलाव, आपका समझना जरूरी

अगर आपने भी होम लोन ले रखा है या फिर आने वाले समय में लेने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, नए साल में होम लोन का स्वरूप बदलने वाला है.

नए साल से RBI होम लोन में करने वाला है ये बदलाव, आपका समझना जरूरी

नई दिल्ली : अगर आपने भी होम लोन ले रखा है या फिर आने वाले समय में लेने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, नए साल में होम लोन का स्वरूप बदलने वाला है. अप्रैल 2019 से होम लोन से संबंधित नियम आरबीआई के निर्देश के बाद बदल जाएंगे. हमारी सहयोगी वेबसाइट www.zeebiz.com/hindi के अनुसार आरबीआई ने बैंकों से होम लोन की ब्याज दरें तय करने के लिए बाहरी बेंचमार्क का इस्तेमाल करने के लिए कहा है. एक्सटर्नल या बाहरी बेंचमार्क में ट्रेजरी बिल रेट या रेपो रेट दोनों शामिल हैं. फिलहाल जो होम लोन तय होता है वह आंतरिक बेंचमार्क के आधार पर तय होता है. रिजर्व बैंक के नए निर्देश का पालन तमाम बैंक अप्रैल 2019 से करेंगे.

बेंचमार्क का मतलब
बेंचमार्क एक तरह का रेफरेंस रेट है जिसमें बदलाव होने पर होम लोन की ब्याज दरों पर भी इसका असर देखने को मिलता है. वर्तमान समय में 90 प्रतिशत होम लोन फ्लोटिंग दर यानी तय ब्याज दर पर नहीं हैं. उदाहरण के लिए अगर किसी को 20 साल के लिए भी होम लोन दिया जाएगा तो ब्याज दर में समय-समय पर बदलाव होते रहेंगे. हालांकि ब्याज दर बैंक अपनी फंड लागत के हिसाब से तय करते हैं. अब से पहले तक बैंक अपना बेंचमार्क दर खुद तय करते आए हैं. इन दरों में प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट (बीआर) और मार्जिनल कॉस्ट फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) शामिल है. बाहरी बेंचमार्क भी एक रेफरेंस रेट ही है. मुख्य फर्क यह है कि यह सिर्फ मार्केट में फंड की लागत में होने वाले परिवर्तन को दर्शाते हैं. इन्हें बैंक खुद तय नहीं करेंगे.

लोन देने के बाद बैंक का नियंत्रण खत्म
आप अक्सर सुनते होंगे कि मौद्रिक समीक्षा में इस बार रेपो रेट इतना बढ़ा या इतना घटा. दरअसल, रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. एक तरह से यह बैंकों के आरबीआई से कर्ज लेने की लागत है. रेपो रेट फिलहाल 6.5 फीसदी है. बैंक इस रेपो रेट में 2.5 प्रतिशत मार्जिन रखकर 9 फीसदी पर लोन दे सकता है. लेकिन, एक बार लोन दे देने के बाद बैंक का नियंत्रण खत्म हो जाएगा. इसके बाद रेट ब्याज के मुकाबिक ही तय होगा. मान लीजिए अप्रैल 2014 से 91 दिन के ट्रेजरी बिल पर कट-ऑफ यील्ड 2.09 फीसदी घटी है. लेकिन, नए ग्राहकों के लिए होम लोन की दर 1.35 फीसदी तक घटी हैं.

बेंचमार्क इसलिए बदलते रहे
बैंक अपने ग्राहकों को कितने ब्याज पर कर्ज देगा, इसे रिजर्व बैंक तय नहीं करता. हां, वह यह जरूर चाहता है कि जब वह ब्याज दरों में कटौती या बढ़ोतरी करे तो बैंक इसका लाभ ग्राहकों को भी दे. इससे एक तो मौद्रिक नीति ज्यादा कारगर होगी और दूसरा, ग्राहकों के लिए पादर्शिता भी बढ़ेगी. बाहरी बेंचमार्क से नए ग्राहकों को बाजार से चुनाव करने का विकल्प मिल सकेगा. इससे बैंक नए ग्राहकों को अच्छी से अच्छी पेशकश की कोशिश करेंगे. आंतरिक बेंचमार्क के मुकाबले बाहरी बेंचमार्क में ब्याज दरों में बदलाव जल्दी-जल्दी होंगे.

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