Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादित बयान तूल पकड़ता जा रहा है. आखिर कौन हैं जस्टिस शेखर यादव और कैसा रहा उनका अब तक का करियर? चलिए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ...
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Who is Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव इन दिनों अपने बयानों के चलते सुर्खियों में हैं. पिछले दिनों में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए उनके बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है. इससे पहले भी वे अपने बयानों की वजह से चर्चा में रह चुके हैं. आइए जानते हैं कौन हैं जस्टिस शेखर यादव, उन्होंने कहां से और कितनी की है पढ़ाई-लिखाई और कैसा रहा उनका अब तक का करियर...
शिक्षा: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई
जस्टिस शेखर यादव का जन्म 16 अप्रैल 1964 को हुआ था. उन्होंने 1988 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की. इसके बाद 1990 में वकालत की शुरुआत की. उनका कानूनी करियर सिविल और संवैधानिक मामलों पर केंद्रित रहा.
वकालत की शुरुआत
साल 1990 में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर वकील अपना नॉमिनेशन कराया. अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने सिविल और संवैधानिक मामलों में गहरी पकड़ बनाई. जस्टिस यादव का मुख्य फोकस हमेशा न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक मुद्दों पर रहा. जस्टिस यादव ने अपने पूरे करियर में कानून के प्रति समर्पण और न्यायपालिका में निष्पक्षता बनाए रखने का प्रयास किया है. हालांकि, उनके बयानों और विचारों ने उन्हें कई बार आलोचना का केंद्र भी बनाया है.
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अहम पदों पर काम
जस्टिस शेखर यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के लिए कई अहम पदों पर कार्य किया. वे उत्तर प्रदेश के एडिशनल सरकारी अधिवक्ता और भारत सरकार के स्थायी परामर्शदाता भी रह चुके हैं. रेलवे विभाग के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर भी उन्होंने काम किया.
जज बनने का सफर
दिसंबर 2019 में जस्टिस शेखर यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने. मार्च 2021 में उन्हें स्थायी जज के रूप में पदोन्नत किया गया. वर्तमान में उनका कार्यकाल मार्च 2026 तक है.
ब्रिटेन में भाषण से सुर्खियों में
हाल ही में जस्टिस यादव ने ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक लेक्चर दिया. उनका विषय था, "भारत के अग्रदूत: 2047 तक विकसित भारत के मार्ग पर अग्रसर." अपने भाषण में उन्होंने भारतीय संस्कृति, गंगा और गीता का महत्व बताया और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की.
पहले भी रहे हैं चर्चा में
यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस यादव अपने बयानों के कारण चर्चा में आए हों. साल 2021 में उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी. इसके अलावा उनके कई अन्य बयान भी विवादों में रहे हैं. अब विहिप के कार्यक्रम में उनके हालिया बयान ने उन्हें फिर से विवादों में ला दिया. उनके इस बयान पर देशभर में आलोचना हो रही है. इस विवाद ने उनके पिछले बयानों और फैसलों की भी चर्चा शुरू कर दी है.
क्यों हैं इस समय सुर्खियों में?
रविवार, 8 दिसंबर को विश्व हिन्दू परिषद के लीगल सेल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव और मौजूदा जज जस्टिस दिनेश पाठक शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम में 'वक़्फ़ बोर्ड अधिनियम', 'धर्मान्तरण-कारण एवं निवारण' और 'समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक अनिवार्यता' जैसे विषयों पर लोगों ने अपने विचार रखे. जस्टिस यादव ने 'समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक अनिवार्यता' विषय पर अपनी बात रखी. लगभग 34 मिनट की स्पीच के दौरान उन्होंने कुछ ऐसी बातें कह दी, जिसे लेकर बवाल खड़ा हो गया है और अब यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है.