Wind Energy: धरती पर हवा न चले तो कोई प्राणी सांस नहीं ले पाएगा. प्रकृति से एकदम मुफ्त मिलने वाली हवा की कीमत तब समझ आती है, जब हम किसी ऐसा जगह हो जहां हवा नहीं चलती. हवा के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आज, 15 जून को हर साल पूरी दुनिया में ग्लोबल विंड डे मनाया जाता है, जिसका मकसद  लोगों को हवा के महत्व समझाना है. इस समय पूरी दुनिया की नजरें हवा से बिजली तैयारी करने पर टिकी हुई हैं. आज के दिन इस विषय पर बात करना और भी जरूरी सा है, क्योंकि एनर्जी के नए कभी न खत्म होने वाले सोर्स पूरी दुनिया में तलाशे जा रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर हवा से बिजली कैसे बनती है? 


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ग्लोबल विंड डे 
यूरोपीयन विंड एनर्जी एसोसिएशन और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल ने इसकी शुरुआत की थी. पहली बार यूरोप में साल 2007 में ग्लोबल विंड डे मनाया गया. इसके बाद 2009 में इसे दुनिया भर में मनाने का फैसला लिया गया. तब EWEA (European Wind Energy Association ) और GWEC (Global Wind Energy Council) ने पूरी दुनिया में इस दिन के कार्यक्रम का समन्वय किया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक उस दौरान लगभग 35 देशों में 300 के आसपास कार्यक्रम आयोजित किए गए थे, जिनमें लगभग 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.


हवा से बिजली 
दुनिया भर में हवा से बिजली बनाने को लेकर रिसर्च की रही है. सूर्य से मिलने वाली सोलर एनर्जी के बाद अब हवा से बिजली तैयार की जा सकेगी. पिछले साल ही अमेरिका की मैसाच्‍युसेट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हवा से बिजली बनाई. इनकी रिसर्च के मुताबिक हवा से मिलने वाली इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई 24 घंटे की जा सकती है. 


इस कॉन्‍सेप्‍ट पर काम करती है नई डिवाइस 
साइंटिस्ट ने नई डिवाइस तैयार की, जिसमें 100 नैनोमीटर से भी छोटे होल होते हैं. हवा में हर समय नमी मौजूद रहती है. यह डिवाइस हवा की नमी के जरिए बिजली बनाती है. इस तरीके से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. हवा में पानी के मॉलिक्‍यूल मौजूद होते हैं. जब हवा इस डिवाइस में से पास होती है तो इन मॉलिक्‍यूल को लेकर आती है. ये मॉलिक्‍यूल इलेक्‍ट्र‍िकल चार्ज पैदा करते हैं. इसे जेनेरिक एयर जेन इफेक्‍ट कहते हैं. 


विंड एनर्जी
दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार हवा से बिजली पाने की टेक्नीक पर रिसर्च कर रहे हैं. उन्हें यह उम्मीद है कि भविष्य में विंड एनर्जी का इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर बिजली पैदा की जा सकेगी. दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जो विंड एनर्जी के कॉन्सेप्ट पर भरोसा करके इसमें पैसा लगा रहे हैं.