सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े हैं डी गुकेश! पर दिमाग ऐसा कि जीत लिया वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब
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सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े हैं डी गुकेश! पर दिमाग ऐसा कि जीत लिया वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब

World Chess Champion D Gukesh Education: इंडियन ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सिर्फ चौथी कक्षा तक ही रेगुलर स्कूल जाकर पढ़ाई की है. उन्होंने प्रोफेशनल चेस खेलने के लिए पढ़ाई से ध्यान हटा कर अपना पूरा फोकस शतरंज पर लगाया और आज वह वर्ल्ड चेस चैंपियन बन गए हैं.

सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े हैं डी गुकेश! पर दिमाग ऐसा कि जीत लिया वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब

World Chess Champion D Gukesh Schooling: इंडियन ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है. गुकेश ने अपने करीबी मुकाबले के 14वें और आखिरी गेम में मौजूदा चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब हासिल किया. शतरंज के दीवानों को रोमांचित करने वाले इस मैच का अंत गुकेश द्वारा 7.5 अंक हासिल करने के साथ हुआ, जबकि लिरेन ने 6.5 अंक हासिल किए. नए वर्ल्ड चैंपियन के रूप में गुकेश को 2.5 मिलियन डॉलर की पुरस्कार राशि भी मिलेगी.

गुकेश वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं, जो दिग्गज विश्वनाथन आनंद के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. पांच बार के विश्व चैंपियन आनंद ने आखिरी बार 2013 में मैग्नस कार्लसन से हारने से पहले यह खिताब जीता था.

गुकेश की स्कूली शिक्षा
गुकेश ने सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था. उन्होंने चेन्नई के मेल अयनंबक्कम के वेलाम्मल विद्यालय (Velammal Vidyalaya) में पढ़ाई की है. हालांकि, डी. गुकेश ने चौथी कक्षा के बाद रेगुलर स्कूल जाना बंद कर दिया था. चेन्नई के वेालम्मल स्कूल में पढ़ने वाले शतरंज के युवा चैंपियन डी. गुकेश ने सिर्फ चौथी कक्षा तक ही फॉर्मल स्कूली शिक्षा ली है. शतरंज के करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उनके माता-पिता ने उन्हें रेगुलर स्कूल जाने से मुक्त कर दिया था. वहीं, जब गुकेश ने प्रोफेशनल शतरंज खेलना शुरू किया, तब से उन्होंने कोई सालाना परीक्षा नहीं दी है.

डी गुकेश के विश्व चेस चैंपियन बनने के बाद उनके स्कूल वेलाम्मल विद्यालय में जश्न का माहौल है, जो अपने इस स्टार का स्कूल कैंपस में स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है. वेलाम्मल संस्थानों के लंबे इतिहास में यह शानदार क्षण है जो शहर में शतरंज क्रांति के पीछे उत्प्रेरक ताकत है. इस समय डी गुकेश और आर प्रज्ञानानंदा सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी बने हुए हैं, वहीं स्कूल सैकड़ों उभरते शतरंज खिलाड़ियों को एक्सपर्ट ट्रेनिंग प्रदान करता है. वेलाम्मल में शतरंज के कोऑर्डिनेटर एस वेलावन ने कहा, "शतरंज हमेशा से शहर की संस्कृति का हिस्सा रहा है और शतरंज को करिकुलम का हिस्सा बनाने के फैसले ने वास्तव में इसे फलने-फूलने में मदद की है. निश्चित रूप से प्रेरणा लेने के लिए उनके पास आनंद जैसे चैंपियन भी हैं. लेकिन फिलहाल वेलाम्मल में हर कोई विश्व चैंपियन डी गुकेश का स्कूल परिसर में स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है."

हाल ही में, सबसे कम उम्र के विश्व चेस चैंपियन के रूप में डी गुकेश की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने के लिए, उनके स्कूल ने एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें चमकदार लेजर और ड्रोन डिस्प्ले शामिल थे. स्कूल ने अपने स्टार पूर्व छात्र को एक लग्जरी कार, एक मर्सिडीज बेंज, जिसकी कीमत $60,000 (लगभग 50 लाख रुपये) से अधिक है, उपहार में देकर सम्मानित किया.

इस स्कूल से निकले कई ग्रैंडमास्टर
वेलम्मल विद्यालय तमिलनाडु में प्राइवेट स्कूलों के एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा है और इसने शतरंज की प्रतिभा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंद और वैशाली रमेशबाबू जैसे अन्य उल्लेखनीय पूर्व छात्र शामिल हैं.

डी गुकेश का फैमली बैक्ग्राउंड
29 मई, 2006 को चेन्नई में जन्मे डी गुकेश एक तेलुगु परिवार से हैं. उनके पिता डॉ. रजनीकांत एक ईएनटी सर्जन हैं, जबकि उनकी मां डॉ. पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. गुकेश को सात साल की उम्र में शतरंज से परिचित कराया गया था और उन्होंने अपने कोच के मार्गदर्शन में अपनी स्किल को डेवलप करना शुरू किया.

उन्होंने शतरंज के प्रति बढ़ते जुनून के साथ अपनी पढ़ाई को संतुलित किया. शुरुआत में, गुकेश ने 2013 में सप्ताह में तीन बार एक घंटे तक शतरंज का अभ्यास किया.

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