Undergraduate Courses: अब इन स्टूडेंट्स को भी दिल्ली यूनिवर्सिटी देगी ग्रेजुएशन ‘ऑनर्स’ की डिग्री
New Education Policy (NEP) ने शिक्षा प्रणाली में कुछ संरचनात्मक बदलाव भी किए जैसे कई एग्जिट और एंट्री पॉइंट. तीन साल से पहले डिग्री कोर्स छोड़ने वाले को कोर्स में फिर से शामिल होने के लिए तीन साल और अपनी डिग्री पूरी करने के लिए सात साल की निर्धारित अवधि दी जाएगी.
Undergraduate ‘Honours’ Degree: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा तैयार किए एक मसौदे में दिए गए नए मानदंडों के अनुसार, स्टूडेंट्स को अब चार साल का कोर्स पूरा करने के बाद ही ग्रेजुएशन ऑनर्स की डिग्री मिलेगी. इनकी जानकरी ‘चार साल के ग्रेजुएशन प्रोग्राम के लिए करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क’ टाइटल वाले एक ड्राफ्ट में किया गया है. ड्राफ्ट नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के मुताबिक तैयार किया गया है और कल (13 दिसंबर) को इसके नोटिफाई होने की उम्मीद है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी तीन साल का ऑप्शन चुनने वाले स्टूडेंट्स को भी ग्रेजुएशन ‘ऑनर्स’ की डिग्री देगा. उन्होंने कहा कि डीयू का नया चार साल का ग्रेजुएशन प्रोग्राम (एफवाईयूपी) अकादमिक साल 2022-23 से लागू किया गया है, कम से कम इस शैक्षणिक सत्र के लिए यूनिवर्सिटी अपनी अकादमिक बॉडी द्वारा अप्रूव्ड सिस्टम का पालन करेगा.
सिंह ने कहा हम स्टूडेंट्स को तीन साल बाद ऑनर्स की डिग्री हासिल करने की भी सुविधा देंगे. यूनिवर्सिटी के फैसले लेने वाली टॉप संस्था कार्यकारी परिषद ने फरवरी में एनईपी प्रकोष्ठ द्वारा तैयार किए गए अंडर ग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क-2022 (यूजीसीएफ-2022) को मंजूरी दी थी.
एफवाईयूपी एक छात्र द्वारा पूरे किए गए सालों की संख्या के आधार पर योग्यता देता है. यह स्टूडेंट्स को एक साल के लिए एक सर्टिफिकेट, दो साल के लिए डिप्लोमा और तीन या चार साल के लिए ऑनर्स कोर्स का ऑप्शन देगा.
नई शिक्षा नीति (एनईपी) ने शिक्षा प्रणाली में कुछ संरचनात्मक बदलाव भी किए जैसे कई एग्जिट और एंट्री पॉइंट. तीन साल से पहले डिग्री कोर्स छोड़ने वाले को कोर्स में फिर से शामिल होने के लिए तीन साल और अपनी डिग्री पूरी करने के लिए सात साल की निर्धारित अवधि दी जाएगी.
डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कोर्सेज में मेजर स्ट्रीम कोर्सेज, माइनर स्ट्रीम कोर्सेज, अन्य डिसिप्लिन के कोर्सेज और भाषा और स्किल कोर्सेज शामिल होंगे. दूसरे सेमेस्टर के आखिर में स्टूडेंट्स अपने मेन स्ट्रीम पर फिर से विचार कर सकते हैं और यदि चाहें तो इसे बदल सकते हैं. उनके पास सिंगल या डबल मेजर के आधार पर अंडरग्रेजुएट कोर्स करने का भी ऑप्शन होगा.
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