Jharkhand Election Result: दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया. महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाले 'महयुति' गठबंधन ने और झारखंड में नेतृत्व वाले गठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल कर ली है. झारखंड में एक बार फिर JMM सत्ता में लौटी है और भाजपा की तरफ से चुनाव प्रचार के दौरान किए गए उनके खिलाफ प्रचार को जनता ने नकार दिया है. मुश्किल दौर से गुजरी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की और भाजपा की बड़ी प्रचार मुहिम को नाकाम साबित कर दिया. चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक हेमंत और कल्पना दोनों ही आदिवासी वोटरों के बीच सहानुभूति की लहर पैदा करने में कामयाब रहे और सत्ता विरोधी भावना के बावजूद भाजपा इसका फायदा उठाने और सरकार बनाने में विफल रही.


कामयाब हुए 'बंटी और बबली'


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भारतीय जनता पार्टी के नेता हेमंत और कल्पना पर कटाक्ष करते हुए उन्हें 'बंटी और बबली' की जोड़ी कह रही थी. इसके अलावा कल्पना सोरेन के लिए 'हेलीकॉप्टर वाली मैडम' जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया. लेकिन राज्य में ‘इंडिया’ गठबंधन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को कामयाबी के रास्ते पर ले जाकर उन्होंने आलोचनाओं का करारा जवाब दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी विधायक कल्पना सोरेन दोनों ने चुनावों की घोषणा के बाद लगभग 200 चुनावी रैलियां कीं. अपने पति की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन इस साल की शुरुआत में राजनीति में आई थीं. जिस दौर से पार्टी गुजर रही थी उस हिसाब से देखा जाए तो JMM ने शानदार प्रदर्शन किया है. 


मुश्किल दौर से गुजरी JMM


सीता सोरेन, चंपई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रोम जैसे पार्टी के बड़े चेहरों ने भाजपा का दामन थाम लिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरने जब जेल गए थे तो कहा जा रहा था कि उनकी पत्नी राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं लेकिन JMM के सीनियर नेता चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया. हालांकि जब 28 जून को हेमंत सोरोन को जमानत मिली और वो जेल से बाहर आए तो हेमंत को झामुमो विधायक दल का नेता चुना गया और चंपई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह हेमंत सोरेन का एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि हेमंत सोरोन और JMM के बीच इसी मोड़ पर रिश्ते खराब हो गए थे और अंत में उन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ चले गए. 


JMM ने इस तरह हासिल की सहानुभूति


JMM की प्रचार मुहिम कल्याणकारी योजनाओं के वादों और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल पर केंद्रित रहा. हेमंत सोरेन ने भाजपा पर उनके खिलाफ 'गलत प्रचार' पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने का भी आरोप लगाया. भाजपा के प्रचार अभियान का एक मुख्य मुद्दा जून में हेमंत सोरेन की जमानत पर रिहाई के तुरंत बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाना था. भाजपा ने इसे इस मुद्दे के रूप में पेश किया कि कैसे झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने एक आदिवासी नेता का अपमान किया है.


नाकाम हुए भाजपा के तमाम दिग्गज


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, योगी आदित्यनाथ, हेमंत सोरेन और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत भाजपा के दिग्गज नेताओं ने कई रैलियों को संबोधित किया. भाजपा के इन नेताओं ने आदिवासियों के अपने पाले में लेने के लिए JMM पर घुसपैठ करने का आरोप लगाया. ऐसे में कहा जा सकता है कि एक तरफ जहां देश के बड़े नेता JMM के खिलाफ खड़े थे वहीं दूसरे हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी खड़ी हुई थी जो जनता के सहानुभूति हासिल करने में कामयाब रहे. 


इन स्कीमों से हुआ JMM को फायदा?


झामुमो की मंइयां सम्मान योजना को जनता के बीच अच्छी प्रतिक्रिया मिली. इस योजना के तहत 18-50 साल की उम्र की महिलाओं को 1,000 रुपये दिए जाते थे. हालांकि सरकार बनने के बाद इसे बढ़ाकर 2500 रुपये करने का वादा किया गया है. हेमंत सोरेन ने 1.75 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए दो लाख रुपये तक के कृषि कर्ज माफ किए. इसके अलावा उनकी सरकार ने बकाया बिजली बिल माफ किए और 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना शुरू की. शायद यही कारण हैं कि JMM एक बार फिर राज्य में कामयाब हुई और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर रखा.