Zee News DNA on Jagannath Swamy Temple Treasure: लोकसभा चुनाव में अलग-अलग मुद्दे जमकर उछाले जा रहे हैं, अब इनमें भगवान जगन्नाथ की चर्चा भी शुरू हो गई है. एक तरफ ओडिशा की पुरी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार संबित पात्रा भगवान जगन्नाथ पर विवादित बयानबाजी का प्रायश्चित कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार की चाबी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के गुल और कटक में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए रत्न भंडार की गुम चाबी का मुद्दा उठाया, तो ये मामला एक बार फिर तूल पकड़ गया.


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BJD की सरकार भगवान के खजाने पर डकैती डाल रही- योगी आदित्यनाथ


आज ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार की चाबी के मुद्दे को लेकर चर्चा की. उन्होंने ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार पर आरोप लगाया कि BJD की सरकार भगवान के खजाने पर डकैती डाल रही है.


इन आरोपों की वजह जगन्नाथ मंदिर का वो रत्न भंडार है, जिसे आखिरी बार वर्ष 1985 में खोला गया था. और कहा जाता है कि अंदरुनी रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ पर चढाए गए सोने-चांदी के जेवरात रखे हुए हैं. जिसकी चाबी गुम हो गई है. इसी गुम चाबी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी तक ओडिशा सरकार पर निशाना साध रहे हैं.


गुम हो गई जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाभी


जगन्नाथ मंदिर में दो रत्न भंडार हैं. बाहरी रत्न भंडार और भीतरी रत्न भंडार. बाहरी रत्न भंडार धार्मिक अनुष्ठानों पर खोला जाता है और देवताओं के आभूषण लाए जाते हैं. भीतरी रत्न भंडार को 4 दशक से नहीं खोला गया, वजह चाबी का गुम होना बताया गया. जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबी पुरी के कलेक्टर के पास होती है. जबकि रत्न भंडार खोलने के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेना जरूरी होता है.



वर्ष 2018 में ASI की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने रत्न भंडार खोने के आदेश दिये थे. रत्न भंडार खोलने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, क्योंकि ASI को चाबी नहीं मिली. ASI को बताया गया कि भीतरी रत्न भंडार की चाबी गुम हो गई है. चुनाव में भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार की चाबी इसलिए चर्चा में है, कि ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं और विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे खासी अहमियत रखते हैं. रत्न भंडार का मुद्दा स्थानीय लोगों की भावना से जुड़ा है.


आखिर बार 1985 में खुला था मंदिर का खजाना


भगवान जगन्नाथ के प्रति ओडिशा के लोगों की भावनाओं को समझते हुए ही, संबित पात्रा को अपनी गलती का अहसास हुआ था और अब रत्न भंडार की चाबी का मुद्दा सत्ता का रास्ता खोलने की उम्मीद दे रहा है. क्योंकि पिछली सदी में रत्न भंडार को सिर्फ चार बार ही खोला गया था. 20वीं सदी में आजादी से पहले रत्न भंडार को वर्ष 1905 में खोला गया था. दूसरी बार भीतरी रत्न भंडार वर्ष 1926 में खोला गया.


आजादी के बाद तीसरी बार रत्न भंडार 1978 में खुला और आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था. तब से लेकर आज तक भीतरी रत्न भंडार बंद पड़ा है, जबकि इसे खोलने की मांग कई बार उठी. वर्ष 2018 में कई याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई थी. वैसे, भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में कितना खज़ाना है, इसे लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से ओडिशा हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था. 


खजाने में भरे हैं करोड़ो रुपये के हीरे-जवाहरात


जिसमें बताया गया था कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में 149 किलो सोने, जबकि 198 किलो चांदी के आभूषण और बर्तन हैं. इसके अलावा राजाओं और भक्तों की ओर से चढ़ाए गए कीमती रत्न भी खज़ाने में मौजूद हैं. अप्रैल 2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में कहा था, कि रत्न भंडार में सोने के 12,831 भारी आभूषण हैं. जबकि चांदी के 22,153 भारी आभूषण हैं.


भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार और उसकी चाबी का मुद्दा तो पुराना है. लेकिन चुनावी मौसम में रत्न भंडार की चाबी चर्चा का नया विषय बन गई है. लेकिन चाबी कहां है, इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है.