Rajinikanth Jailer In Hindi: एक तो बीते कुछ साल में हिंदी पट्टी में साउथ की फिल्मों का क्रेज बढ़ा है. नतीजा यह कि बड़ी फिल्में हिंदी में डब होकर नॉर्थ के मार्केट में भी धूमधाम से उतरने लगी है. बाहुबली और पुष्पा से लेकर केजीएफ तथा आरआरआर तक धूम मचा चुकी हैं. लेकिन अब दक्षिण भारतीय फिल्मों के सामने अनोखा संकट आ गया है. उत्तर भारतीय एक्जिबीटर साउथ की पैन-इंडिया फिल्मों को अपने यहां लगाने के लिए तैयार नहीं हैं और इसकी वजह चौंकाने वाली है. इस समस्या का संबंध जुड़ा है ओटीटी प्लेटफॉर्मों से. ऐसा नहीं है कि साउथ की हर फिल्म नॉर्थ में अच्छा बिजनेस करती है, परंतु जब कोई फिल्म अच्छा परफॉर्म करती है तो वहां समस्या पैदा होती है.


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कमाई में अंतर
हाल में रजनीकांत की तमिल ब्लॉकबस्टर जेलर ने हिंदी बाजारों (Jailer In Hindi) में कमजोर कारोबार किया. जबकि फिल्म ने दुनिया भर में 600 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार किया. इस आंकड़े के मुकाबले फिल्म का हिंदी वर्जन 10 करोड़ नेट ही कमा पाया. फिल्म बहुत धीरे-धीरे चल रही है, लेकिन फिर अचानक यह चार हफ्ते के बाद ओटीटी पर आ गई. ऐसे में हिंदी के जिन थिएटरों में लगी थी, वहां से उतारना पड़ा. असल में साउथ में एक्जिबीटरों और प्रोड्यूसरों के बीच चार हफ्तों का समझौता है. वहां फिल्में थिएटर में चलने के चार हफ्ते बाद ओटीटी पर जा सकती है. इसीलिए निर्माता ने जेलर को ओटीटी पर दे दिया.



बात समय की
दूसरी तरफ बॉलीवुड में थिएटर और ओटीटी की रिलीज का फर्क 8 हफ्ते का है. अगर हिंदी के निर्माता इस शर्त को नहीं मानते, तो थिएट उनकी फिल्म नहीं चलाते. जेलर को चार हफ्ते बाद ही प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया है. जबकि हिंदी में यह नियम आठ सप्ताह का है. नो ओटीटी क्लॉज को पूरा नहीं करता है. अब खबर है कि दलपति विजय की  फिल्म लियो को हिंदी में रिलीज के लिए समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर भारतीय एक्जिबीटरों ने साफ कर दिया है कि यदि निर्माता फिल्म की ओटीटी रिलीज के लिए आठ सप्ताह तक इंतजार करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो वे लियो का हिंदी संस्करण रिलीज नहीं करेंगे. आने वाले समय में यह समस्या सालार, पुष्पा 2, कल्कि और इंडियन 2 जैसी फिल्मों के सामने भी आने वाली है.