'PAK टीम जब मैदान में नमाज पढ़ती है तो ICC आपत्ति क्‍यों नहीं उठाता'
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'PAK टीम जब मैदान में नमाज पढ़ती है तो ICC आपत्ति क्‍यों नहीं उठाता'

महेंद्र सिंह धोनी के बलिदान बैज पहनने का मुद्दा फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोशल मीडिया पर ये मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है.

फोटो साभार: सोशल मीडिया

नई दिल्‍ली: महेंद्र सिंह धोनी के बलिदान बैज पहनने का मुद्दा फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोशल मीडिया पर ये मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इस कड़ी में पाकिस्‍तान के 30 मार्च, 2011 के मोहाली में खेले एक मैच का वीडियो और फोटो शेयर कर रहे हैं. उसमें भारत के खिलाफ खेले गए उस मैच में पाकिस्‍तानी टीम को मैदान में नमाज पढ़ते देखा जा सकता है. पाकिस्‍तानी मूल के कनाडाई लेखक तारेक फतेह ने भी आईसीसी की इस अपील पर आपत्ति उठाई है. उन्‍होंने ट्वीट कर कहा, ''पाकिस्‍तान टीम जब मैदान में नमाज पढ़ती है तो आईसीसी आपत्ति क्‍यों नहीं उठाता?''

कब दिखा चिन्‍ह
37 साल के धोनी के ग्लव्स पर 'बलिदान बैज' क्रिकेट वर्ल्‍ड कप (cricket world cup 2019) में भारत और दक्षिण अफ्रीका के मैच के दौरान उस समय दिखाई दिया जब उन्होंने मैच के 40वें ओवर के दौरान युजवेंद्र चहल की गेंद पर दक्षिणी अफ्रीकी बल्लेबाज एंडिले फेहलुकवायो को स्टंप्स आउट किया था. 'बलिदान बैज' वाले ग्लव्स पहने धोनी की यह तस्वीर बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. यह पहली बार नहीं है जब धोनी ने मैदान के अंदर सुरक्षा बलों के प्रति अपना सम्मान दिखाया है. उन्होंने इससे पहले मार्च में आस्ट्रेलिया के साथ हुए वनडे मैच के दौरान भी आर्मी वाली कैप पहनकर विकेटकीपिंग की थी.

महेंद्र सिंह धोनी का बलिदान बैज न कामर्शियल है और न ही धार्मिक: BCCI का जवाब

आईसीसी बनाम बीसीसीआई
आईसीसी ने इस मसले पर बीसीसीआई से आग्रह किया कि वह धोनी से ग्‍लव्‍स उतारने को कहे. लिहाजा शुक्रवार को बीसीसीआई की इस मुद्दे पर हुई बैठक में फैसला किया गया कि सीईओ राहुल जौधरी मुद्दे के समाधान के लिए आज ही इंग्‍लैंड जाएंगे. वहां पर आईसीसी अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे.

धोनी के ग्‍लव्‍स से नहीं हटेगा 'बलिदान बैज', BCCI के CEO अपना पक्ष रखने जाएंगे इंग्‍लैंड!

इससे पहले बीसीसीआई की प्रशासक कमेटी के अध्‍यक्ष विनोद राय ने पत्रकारों से कहा था कि बोर्ड ने आईसीसी को पत्र लिखकर अपना जवाब दे दिया है. इस पर आईसीसी ने आश्‍वासन दिया है कि वह इस पत्र पर विचार करेगा. इस बारे में बीसीसीआई सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि राय का विचार है कि बोर्ड धोनी से इन ग्‍लव्‍स को उतारने के लिए नहीं कहेगा.

दरअसल बीसीसीआई कह रहा है कि इस मुद्दे पर हम अपने खिलाड़ी के साथ खड़े हैं और धोनी का बलिदान बैज न ही कार्मिशयल है और न ही धार्मिक. इसके साथ ही ये भी कहा कि ये चिन्‍ह उनकी रेजीमेंट का भी नहीं है. हम इसकी अनुमति के लिए औपचारिक रूप से आवेदन करेंगे. इस संदर्भ में यदि आईसीसी, बीसीसीआई के जवाब से संतुष्‍ट रहता है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड उससे मंजूरी ले लेता है तो धोनी के ग्‍लव्‍स पर 'बलिदान बैज' बना रहेगा.

आईसीसी के नियम
दरअसल इस संदर्भ में ये जानना बहुत जरूरी है कि आईसीसी के नियम इस बारे में क्‍या कहते हैं? आईसीसी के नियम के मुताबिक, "आईसीसी के कपड़ों या अन्य चीजों पर अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या नस्लभेदी जैसी चीजों का संदेश नहीं होना चाहिए." हालांकि इसका विरोध करने वाले कई लोगों का कहना है कि मैच के दौरान जब नमाज पढ़ने की इजाजत है तो बलिदान बैज को क्‍यों नहीं पहना जा सकता?

'बलिदान बैज'
सिर्फ पैरामिलिट्री कमांडो को ही यह चिन्ह धारण करने का अधिकार है. महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद उपाधि मिली थी. धोनी ने 2015 में पैरा ब्रिगेड की ट्रेनिंग भी ली है. धोनी ने तीन अप्रैल 2018 को लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी में राष्ट्रपति भवन में पद्म भूषण अवॉर्ड प्राप्त किया था.

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