Sand Mining Cases: भारत में बालू के अवैध खनन का मामला किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है. कमोबेश सभी राज्यों में नदियों से बालू के अवैध खनन के मामले सामने आते हैं. हालांकि मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और यूपी से जुड़ी खबरें चर्चा में रहती हैं. हम अक्सर सुनते हैं कि छापा मारने गई या अवैध खनन रोकने गई पुलिस टीम पर माफियाओं ने ट्रैक्टर ट्रॉली से हमला कर दिया. 26 नवंबर को मध्य प्रदेश के शहडोल से ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमें रेत माफियाओं ने पटवारी प्रसून सिंह की हत्या कर दी. अब सवाल यह है कि ये माफिया ट्रैक्टर को ही क्यों हथियार बना लेते हैं. लेकिन बिहार, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मामलों पर गौर करना जरूरी है,


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बिहार का हाल


बिहार के जमुई जिले में अवैध बालू वाले ट्रैक्टर को पुलिस टीम ने पकड़ने की कोशिश की. ट्रैक्टर ट्राली के ड्राइवर ने पूरी पुलिस टीम को कुचल दिया जिसमें दरोगा की मौत हो गई थी.


बिहार के वैशाली जिले में बालू माफियाओं ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया था.


इसी तरह मुंगेर जिले में भी रेत माफियाओं ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था.


यूपी की तस्वीर भी अलग नहीं


अगर बात यूपी की करें तो प्रदेश का शायद ही कोई जिला ऐसा ना हो जहां अवैध तरीके से बालू खनन का काम किया जाता है. खासतौर से एमपी से लगे यूपी के जिलों में रेत माफिया सक्रिय हैं वैसे ही बिहार से लगे जिलों की भी यही हाल है तो हरियाणा से लगे जिलों में भी इस तरह के मामले सामने आते हैं. पुलिस पार्टी पर बालू खनन कर रहे लोगों को पकड़ने की कोशिश करती है तो वो अपने ट्रैक्टर और ट्राली को ही हथियार बना लेते हैं.


राजस्थान भी पीछे नहीं


अगर बात राजस्थान की करें तो यहां की तस्वीर अलग नहीं है. खासतौर से दूसरे राज्यों की सीमाओं से लगने वाले जिलों में खनन का काम बेरोक टोक चलता है. अगर पुलिस पार्टी मौके पर पहुंचती है तो उन्हें निशाना बनाने के लिए ये माफिया ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करते हैं. जानकार कहते हैं कि अगर बड़े पैमाने पर देखा जाए तो अवैध खनन पुलिस और प्रशासन के संरक्षण के बिना संभव नहीं है. बालू माफिया अवैध खनन के लिए बड़े पैमाने पर रिश्वत देते हैं और जब कोई पुलिसकर्मी उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो वो निशाना बन जाते हैं.


सवाल यह है कि माफिया ट्रैक्टर को ही हथियार क्यों बनाते हैं, इस मामले में जानकार कहते हैं कि अक्सर पुलिस पार्टी खनन वाले इलाके से इन माफियाओं को रोकने की कोशिश करती है तो ये अनियंत्रित तरीके से ड्राइविंग करते हैं. अब पुलिस के सामने इन्हें पकड़ने की बड़ी चुनौती होती है लिहाजा वो हर संभव कोशिश करते हैं, ट्रैक्टर ड्राइवर की सीट के करीब  पहुंचने की कवायद में कभी कभी वो खुद से नियंत्रण खो बैठते हैं और जमीन पर गिर पड़ते हैं ऐसे में ड्राइवर उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाने में संकोच नहीं करते हैं. क्योंकि उन्हें पता होता है कि रंगेहाथ पकड़े जाने पर उनके लिए छूटने का रास्ता कठिन हो जाता है. अब ट्रैक्टर से कुचले जाने की दशा में कम से कम रैश ड्राइविंग का नाम दिया जा सकता है.