प्रदेश सरकार की तरफ से उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन लेने वाले अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपए सालाना और अन्य वर्गों के छात्रों को दो लाख रुपए तक सालाना होने पर लाभ दिया जाता है.
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नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर रहे लाखों अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है. अब ऐसे छात्रों को ब्लैकलिस्ट में डाला जाएगा, जो सरकार से स्कॉलरशिप लेकर संस्थानों में अपनी फीस नहीं जमा कराते हैं. साथ ही ऐसे छात्रों को बाद में स्कॉलरशिप भी नहीं दिया जाएगा. इसको लेकर समाज कल्याण विभाग द्वारा शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में एक बड़ा बदलाव भी किया जा रहा है.
प्रदेश सरकार की तरफ से उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन लेने वाले अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपए सालाना और अन्य वर्गों के छात्रों को दो लाख रुपए तक सालाना होने पर लाभ दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक नए नियम को लेकर उच्च स्तर से अनुमति मिल गई है. जल्द ही प्रस्ताव तैयार करके, नए सत्र से लागू कर दिया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्रों को संस्थान में फीस न जमा करनी पड़े, इसलिए उनके द्वारा स्कूल में दूसरा अकाउंट दिया जाता है. साथ ही इस अकाउंट को आधार कार्ड से भी लिंक नहीं किया जाता है. वहीं, स्कॉलरशिप के लिए दूसरा अकाउंट दिया जाता है.
राज्य सरकार की तरफ से जब फीस प्रतिपूर्ति भेजी जाती है, तो छात्रों द्वारा बैंक से पैसा निकाल लिया जाता है. वहीं, जब संस्थान द्वारा फीस जमा करने को कहा जाता है तो वे, अपना दूसरा अकाउंट दिखा देते हैं और कहते हैं कि स्कॉलरशिप नहीं आई है. ऐसे में शिक्षण संस्थानों को नुकसान होता है.
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