Teacher's Day: शिक्षकों के लिए भी काफी मुश्किल है 'Digital Education', खास अंदाज में कहिए शुक्रिया
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Teacher's Day: शिक्षकों के लिए भी काफी मुश्किल है 'Digital Education', खास अंदाज में कहिए शुक्रिया

न दिनों मेट्रो शहरों से लेकर टियर 1-2 शहरों, देहातों, कस्बों और गांवों तक इसी माध्यम से पढ़ाई चल रही है. यह दौर बच्चों के लिए जितना मुश्किल है, उतना ही शिक्षकों के लिए भी. शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के मौके पर समझिए शिक्षकों की परेशानी और उन्हें खास अंदाज में कहिए शुक्रिया. 

शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को कहें शुक्रिया

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी ने 2020 के लिए बनाई गई हर तरह की योजना पर पानी फेर दिया है. मार्च से ही देशभर में बंदी का असर देखा जा रहा है और इसने हर उम्र व वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है. भारत में परीक्षाओं के महीने मार्च से ही सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए थे. चूंकि साल 2020 को जीरो एकैडमिक ईयर (Zero Academic Year) घोषित नहीं किया गया था, इसलिए अप्रैल-जुलाई के बीच सभी शिक्षण संस्थानों (Teaching Institutes) के लिए पढ़ाई शुरू करवाना अनिवार्य था. लॉकडाउन (Lockdown) में पढ़ाई शुरू करवाने का एक ही विकल्प था और वह था ऑनलाइन एजुकेशन (Online Education). इसे आप ई-शिक्षा (e-Learning), ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल एजुकेशन (Digital Education) भी कह सकते हैं. इन दिनों मेट्रो शहरों से लेकर टियर 1-2 शहरों, देहातों, कस्बों और गांवों तक इसी माध्यम से पढ़ाई चल रही है. यह दौर बच्चों के लिए जितना मुश्किल है, उतना ही शिक्षकों के लिए भी. शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के मौके पर समझिए शिक्षकों की परेशानी और उन्हें खास अंदाज में कहिए शुक्रिया.                          

  1. शिक्षकों के लिए भी आसान नहीं है डिजिटल एजुकेशन
  2. उन्हें तकनीक समझने से लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
  3. शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को खास अंदाज में कहें शुक्रिया

क्या है ई-लर्निंग
कोरोना वायरस महामारी के शुरू होते ही सभी तरह के शिक्षण संस्थानों को बंद किए जाने की घोषणा कर दी गई थी. सरकार के इस फैसले का सभी ने स्वागत किया था. कोई भी स्कूल और अभिभावक अपने बच्चों की देखभाल में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता था. जिन स्कूलों या कॉलेजों में परीक्षाएं शुरू या संपन्न हो चुकी थीं, वहां के छात्रों को उनके पुराने परीक्षा परिणामों (Exam Results) के आधार पर पास कर दिया गया था. कुछ संस्थानों ने परीक्षाएं ऑनलाइन करवा ली थीं. हालांकि, उसके बाद सभी के सामने एक ही प्रश्न था कि अब आगे क्या? अप्रैल में लॉकडाउन जारी था और ऐसे में शिक्षण संस्थानों ने अपने हिसाब और सहूलियत को देखते हुए ऑनलाइन मीटिंग कर शिक्षकों को पढ़ाई शुरू करवा देने की सलाह दी थी. विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज तक बुला पाना असंभव था और इसी के साथ भारत में भी ऑनलाइन एजुकेशन की शुरुआत हो गई थी. तब से अभी तक शिक्षण का यही मोड जारी है. इसके तहत शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस (Online Classes) के माध्यम से छात्रों की पढ़ाई पूरी करवाने और परीक्षाएं लेने के लिए प्रयासरत हैं. 

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ई-लर्निंग की दिक्कतें
ई-लर्निंग (e-Learning) यानी कि इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. इसमें शिक्षकों (Teachers) से लेकर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों तक को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम बात करेंगे शिक्षकों के सामने आ रही दिक्कतों के बारे में.

1. तकनीक के साथ सामंजस्य - हर टीचर टेक्नोलॉजी (Technology) के साथ बहुत सहज नहीं है. हालांकि, बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के प्रयास में सभी शिक्षकों ने अपने बलबूते बहुत जल्दी हर तरह की तकनीक के साथ सामंजस्य बिठाना सीख लिया है, इसके लिए उन्हें कोई फॉर्मल ट्रेनिंग (Formal Training) नहीं दी गई थी. ऑनलाइन पढ़ाना, क्लास का वीडियो रिकॉर्ड कर बच्चों को भेजना, फिर उनका होमवर्क प्लान कर पीडीएफ (PDF) के माध्यम से मेल या व्हॉट्सऐप (WhatsApp) करना और फिर उसे जांचना भी, यह बिल्कुल भी आसान नहीं है.

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2. बच्चों से बातचीत - स्कूल-कॉलेज में शिक्षकों का छात्रों के साथ वन-टु-वन इंटरैक्शन (One-To-One Interaction) होना सामान्य बात है. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण के दौरान इस तरह की दिक्कतें आना आम है. यहां टीचर्स लैपटॉप के माध्यम से अपने घरों में बैठकर क्लास के 30-40 बच्चों को पढ़ा रहे होते हैं. वे बच्चे भी अपने-अपने घरों में अलग-अलग जगहों पर हैं और ऐसे में सभी से क्लास जैसा इंटरैक्ट (Interact) कर पाना बहुत मुश्किल है.

3. टीचिंग के नए तरीके - ब्लैकबोर्ड और चॉक के आदी शिक्षकों के लिए ऑनलाइन पढ़ा पाना काफी मुश्किल है. यहां उन्हें प्रेजेंटेशन (Presentation) बनानी पड़ रही हैं और उसी के माध्यम से अपने छात्रों को पढ़ा पा रहे हैं. इन नए तरीकों के साथ तुरंत एडजस्ट कर पाना आसान नहीं है. 

4. ऑनलाइन क्लास को व्यवस्थित करना - संस्थान में शिक्षक बच्चों को डांटकर, प्यार से और कभी-कभी सजा देकर समझा-बुझा लेते हैं. हालांकि, ऑनलाइन एजुकेशन में यह मुमकिन नहीं है. ऐसे में कई बार क्लास को व्यवस्थित कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. कभी टीचर का डिवाइस म्यूट (Mute) हो जाता है तो कभी बच्चा अनम्यूट (Unmute) किए बिना अपनी पूरी बात कह जाता है. कभी किसी का इंटरनेट बंद हो जाता है तो कभी फोन या लैपटॉप बंद हो जाता है. 

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संस्थानों में 8-9 घंटे बिताने वाले शिक्षकों की ड्यूटी भी अब कई घंटों से बढ़ चुकी है. संस्थान में पढ़ाते समय वे हर छात्र पर पर्सनली ध्यान दे पाते थे, जो फिलहाल मुमकिन नहीं है. सिर्फ इतना ही नहीं, अब शिक्षकों को पढ़ाई के नए तौर-तरीकों के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि बच्चों के साथ ही उनके अभिभावक भी शायद क्लास अटेंड कर रहे होंगे!

टीचर्स को कहें शुक्रिया
अपनी जिंदगी और ज्ञान का अमूल्य हिस्सा हमारे साथ बांटने वाले हमारे शिक्षक बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं. हर छात्र व अभिभावक को अपने खास अंदाज में शिक्षकों का शुक्रिया अदा करना चाहिए. इसके लिए वे शिक्षक दिवस पर खास ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं. उनके प्रयासों के लिए शुक्रिया कहने का इससे बेहतर अवसर नहीं मिलेगा. उन्हें भी यकीनन आपका यह अंदाज बेहद पसंद आएगा और वे दोगुने जोश और तैयारी के साथ ऑनलाइन एजुकेशन में अपना बेहतर प्रदर्शन दे पाएंगे. इस बार परीक्षा सिर्फ बच्चों की नहीं है, बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों की भी है. ऐसे में सभी को एकजुट होकर शिक्षा के नए तौर-तरीकों में अपना योगदान देना होगा.

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