पढ़ाई का जुनून, गोवा में Online Classes के लिए चढ़ाई करके पहाड़ी पर पहुंचते हैं छात्र
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पढ़ाई का जुनून, गोवा में Online Classes के लिए चढ़ाई करके पहाड़ी पर पहुंचते हैं छात्र

कोविड-19 (COVID-19) महामारी की वजह से देशभर में बच्चे अपने घरों में ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं. इस दौरान गोवा के कुछ छात्रों को इंटरनेट कनेक्शन के लिए काफी भटकना पड़ रहा है.

कोविड-19 में बढ़ा डिजिटल एजुकेशन का महत्व

पणजी (भाषा): सिर पर किसी चीज का जुनून सवार हो तो इंसान हर मुश्किल को पार कर सकता है. पढ़ाई के लिए जुनूनी विद्यार्थी भी शिक्षा हासिल करने के लिए हर हद से गुजर जाने के लिए तैयार रहते हैं. कोविड-19 (COVID-19) में पढ़ाई का स्वरूप बदल गया है और अब बच्चे ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

  1. कोविड-19 महामारी में शिक्षा का स्वरूप बदल गया है
  2. स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी ऑनलाइन क्लासेस के जरिए शिक्षा हासिल कर रहे हैं
  3. गोवा के कुछ छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है

गोवा में शिक्षा की मिसाल
कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान भी पढ़ाई जारी रखने का जुनून ही है जो गोवा (Goa) के छात्रों का एक समूह ऑनलाइन क्लास (Online Class) अटेंड करने के लिए हर रोज तीन किलोमीटर की चढ़ाई करके पहाड़ी पर पहुंचता है.

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दरअसल, वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थित इस पहाड़ी पर इंटरनेट कनेक्टिविटी (Internet Connectivity) अच्छी मिलती है. इस समूह में 25 छात्र हैं, जिनमें कई लड़कियां भी हैं.

खतरनाक है चढ़ाई
बीते कई महीनों से छात्रों की दिनचर्या में दक्षिण गोवा जिले के संगम तालुका में पहाड़ी पर चढ़ाई करना शामिल हो चुका है. इसमें मौजूद खतरों के बावजूद उनका हौसला नहीं डगमगाता है. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) के चलते तटीय राज्य में शैक्षणिक संस्थान मार्च से बंद हैं और इसलिए यहां भी शिक्षण ऑनलाइन ही हो रहा है.

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नेटवर्क की तलाश पूरी
संगम तालुका के कुमारी और पात्रे जैसे गांव पणजी के दक्षिण में करीब 100 किमी की दूरी पर स्थित हैं. यहां के छात्र नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य में कुमार पहाड़ी पर नियमित तौर पर तीन किलोमीटर की चढ़ाई करते हैं. दरअसल यहां पर उनके मोबाइल फोन पर सिग्नल अच्छे मिलते हैं और ऑनलाइन क्लास करना संभव हो पाता है.

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सामने आती हैं परेशानियां
इंजीनियरिंग की छात्रा नीलिमा एकदो ने बताया, 'हम सुबह करीब आठ बजे यहां आते हैं और दोपहर एक बजे तक कक्षाएं होने के बाद घर लौटते हैं.' प्रविता गांवकर कॉलेज में पढ़ती हैं, वे कहती हैं कि यहां कई बार उनका सांपों से सामना हो जाता है. लेकिन ऑनलाइन क्लास करने के लिए यहां आना उनकी मजबूरी है.

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प्रशासन की ओर से प्रयास जारी
जिला प्रशासन से जब इस बारे में पूछा गया तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, इलाके में बीएसएनएल के सभी टॉवर सुचारू रूप से काम करें, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण छात्रों को जो परेशानियां आ रही हैं, उनके बारे में जिला कलेक्ट्रेट में हुई बैठकों में बात भी की गई है.

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