भांग और गांजे को लोग अलग-अलग समझते हैं, लेकिन ऐसा है भी और नहीं भी. क्योंकि भांग और गांजा एक ही प्रजाति कि पौधे से बनाए जाते हैं. इस प्रजाति को नर और मादा के रुप में विभाजित किया जाता है. इसमें नर प्रजाति से भांग बनती है और मादा प्रजाति से गांजा बनता है.
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नई दिल्ली. क्रूज ड्रग्स मामले में 3 अक्टूबर को आर्यन खान सहित 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आर्यन फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में हैं और उनकी जमानत याचिका दो बार खारिज हो चुकी है. जिसके बाद उनके वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है. इस पर 26 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद से लोग लोग सोच रहे हैं कि वह ऐसा क्या कर दिए, जिसके चलते उन्हें जेल में डाल दिया गया. वहीं, इस मामले के बाद लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर भांग, गांजे व चरस में अंतर क्या और भारत में इसको लेकर क्या कानून बनाए गए हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं यहां...
भांग और गांजा में क्या होता है अंतर
भांग और गांजे को लोग अलग-अलग समझते हैं, लेकिन ऐसा है भी और नहीं भी. क्योंकि भांग और गांजा एक ही प्रजाति कि पौधे से बनाए जाते हैं. इस प्रजाति को नर और मादा के रुप में विभाजित किया जाता है. इसमें नर प्रजाति से भांग बनती है और मादा प्रजाति से गांजा बनता है. ऐसे में कहा जाता है कि ये दोनों एक ही प्रजाति के पौधे से बनते हैं, लेकिन इसके बनाए जाने के तरीके अलग होते हैं.
भांग और गांजा बनाने का तरीका
गांजा और भांग के बनाने का तरीका अलग है. गांजा इस पौधे के फूल से तैयार किया जाता है और फिर इसे सुखाकर और जलाकर धुएं के रूप में लिया जाता है. जबकि भांग, जिस पौधे की पत्तियां होती हैं, जिसे कैनेबिस की पत्तियां कहा जाता है और बीजों को पीसकर बनाया जाता है. ऐसे में सीधे शब्दों में कहें तो गांजा फूल से और भांग पत्तियों से बनता है.
एक ही पौधे से बनते हैं तो भांग गैर-कानूनी क्यों?
भारत में पहले गांजे का इस्तेमाल भी खुले-तौर पर किया जा सकता था, लेकिन 1985 के बाद से इस पर रोक-टोक लगाई गई. इसके बाद राजीव गांधी की सरकार 1985 में NDPS यानी नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट लेकर आई, जिसके बाद से गांजे पर बैन लग गया. इस कानून में भांग के पौधे यानी कैनबिस के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था. इसका मतलब यह हुआ कि इसके फूल को रखना गैरकानूनी है और पत्तियों का इस्तेमाल कानूनी है.
चरस क्या है?
चरस कैनेबिस के पौधे से निकले रेजिन से तैयार होता है. यह रेजिन भी इस पौधे का हिस्सा है, रेजिन पेड़-पौधों से निकलने वाला एक चिपचिपा मेटेरियल है. इसे ही चरस, हशीश और हैश कहा जाता है. भारत में नारकोटिक्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंसेंज ऐक्ट, 1985 के तहत कैनबिस के किसी भी तरह के सेवन पर प्रतिबंध है.
हालांकि, मेडिकल, साइंटिफिक या इंडस्ट्रियल मकसद से इसको उगाने की छूट दी गई है. कानून में कैनबिस के तीन रूप हैं- चरस (हशीश), तेल और गांजा. भांग पर बैन नहीं है, लेकिन उगाने पर रेगुलेशन है. बिना इजाजत गांजा उगाने पर 10 साल जेल तक की सजा का प्रावधान है. साथ ही कम मात्रा में गांजा होने पर भी जेल हो सकती है. ज्यादा मात्रा में मिला तो कम से कम 10 साल की जेल का प्रावधान है. 100 ग्राम गांजा रखने पर भी व्यक्ति को 6 महीने की जेल हो सकती है.
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