कुपोषण खत्म करने में मदद करेगा यह एप, छात्रों को देश में पहला स्थान
जलपाईगुड़ी में छात्रों को बड़ी सफलता मिली है. कुपोषण को दूर करने के लिए जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के कुछ छात्रों ने एक एप तैयार किया है. इसे बनाकर छात्रों ने प्रथम पुरस्कार जीत लिया है.
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नई दिल्ली : जलपाईगुड़ी में छात्रों को बड़ी सफलता मिली है. कुपोषण को दूर करने के लिए जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के कुछ छात्रों ने एक एप तैयार किया है. इसे बनाकर छात्रों ने प्रथम पुरस्कार जीत लिया है. इसके साथ ही सुनामी सतर्कता को लेकर भी एक संदेश दिया गया है, जिसके चलते राट्रीय स्तर पर दूसरा पुरस्कार भी हासिल कर लिया है. देश के सभी टेक्निकल कॉलेज में देश की 196 तरह की अलग-अलग समस्याओं के समाधान को ध्यान में रखकर स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का आयोजन किया गया था.
12 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट जमा किए गए
सूत्रों की माने तो स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के अंतर्गत पूरे देश से करीब 12 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट जमा किए गए. इनमें से 70 प्रोजेक्ट को चुना गया. इन चुनिंदा प्राजेक्ट के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के डेयर डिवील ग्रुप ने कुपोषण दूर करने का मोबाइल एप बनाया. इस एन को तैयार करने के कारण ग्रुप को देश में प्रथम स्थान मिला. इस एप को तैयार करने वालों में नितिन शर्मा, श्रृष्टि सरकार, प्रिया कुमारी लाल, अमप कुमार श्रीवास्तव, रोहित प्रसाद और नंदिता घोष शामिल हैं.
ये छात्र रहे ग्रुप में शामिल
इसके अलावा जलपाईगुड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज से कुल 20 प्रोजेक्ट जमा किए गए थे. इनमें से सबसे ज्यादा पंसद किया सुनामी सतर्क करने वाला GPS एवं सैटेलाइट इमरजेंसी पर आधारित सुनामी सतर्कता मैसेज जो गुवाहाटी केंद्र से सेकंड रनर अप ग्रहण किया. इस टीम के सदस्यों में आशीष कुमार शर्मा, मनीष प्रसाद, अतुल कुमार रजक, ओद्रिला राय और वैभव साहू शामिल रहे.
कॉलेज प्रिंसिपल अमिताभ राय से जब जी मीडियसा ने सवाल कि कुपोषण को लेकर यह मोबाइल एप कैसे काम करेगा और इससे क्या क्या फायदे होंगे. तो उन्होंने बताया कि यह एप तीन तरह से काम करेगा. पहले तो कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की सारी जानकारी, उनके आधार कार्ड और फोन नंबर इस एप में डाले जाएंगे और इस एप को गूगल मैप के साथ लिंक किया जाएगा जिसके चलते इन बच्चों की सारी जानकारी सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं तक पंहुचा दी जाएगी और तुरंत कार्यवाही की जाएगी.
दूसरा राष्ट्रीय पुष्टि रिहैब सेंटर से भी यह एप जुड़ा रहेगा और बच्चों के माता-पिता का फोन नंबर इसमें रहेगा. जिससे कोई भी संदेश होगा तो वो बच्चों के माता-पिता के पास पहुंच जाएगा. इसके बाद रीहैब सेंटर की भी जानकारी दी जाएगी, जहां पर आसानी से अपने बच्चों को इलाज के लिए ले जाया जा सकेगा. तीसरा यह एप सरकारी संस्था NGO एवं भुक्तभोगी परिवार एक ही सूत्र में बांध जाएंगे जिससे तेजी से कुपोषण से गुजर रहे बच्चों का इलाज शुरू होगा. साथ ही प्रिंसिपल ने बताया की उनके छात्रों द्वारा तैयार किये गए इन प्रोजेक्ट्स के जरिये लोगों का कल्याण होगा और उनकी मेहनत रंग लाएगी.