नई दिल्ली. Flex Fuel Engine: केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बीते दिनों एलान किया था कि अगले 6 से 8 महीनों के भीतर भारत सरकार सभी तरह के वाहनों के लिए फ्लेक्स इंजन को अनिवार्य कर सकती है. यानि कि सरकार सभी वाहन निर्माता कंपनियों को भविष्य में यूरो-6 मानक के तहत फ्लेक्स इंजन बनाने को कह सकती है. इस बात के बाद चर्चा यह हो रही है कि आखिर फ्लेक्स इंजन होता क्या है और इसमें कौन सा ईंधन इस्तेमाल किया जाता है? आइए जानते हैं यहां....


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क्या है फ्लेक्स इंजन
फ्लेक्स अंग्रेजी के Flexible शब्द से बना है. इस शब्द से ही स्पष्ट है फ्लेक्स इंजन का मतलब ऐसा इंजन जो बिना किसी दिक्कत के दूसरे ईधन से चल सकता हो. वर्तमान समय में इस इंजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल ब्राजील में किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यहां लगभग 30 लाख वाहन इस इंजन से चल रही हैं. भारत के संदर्भ में इंस इंजन के लिए फ्यूल इथेनॉल और मेथेनॉल को मिलाकर बनाया जा सकता है. इस इंजन के आने से आप अपनी गाड़ी को पूरी तरह से पेट्रोल या डीजल या फिर इथेनॉल पर चला सकेंगे.


आखिर क्या है इथेनॉल और मेथेनॉल
इथेनॉल और मेथेनॉल पूरी तरह से बायो उत्पाद हैं. इसे गन्ना, मक्का और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से तैयार किया जाता है. यह पूरी तरह से जैविक ईंधन है. इस ईधन से प्रदुषण कम फैलता है. यही कारण है कि भारत सरकार भी इसके प्रयोग पर जोर दे रही है. 


कम प्रदूषण के साथ होगा ये फायदा
लगातर बढ़ते प्रदुषण की वजह से इस वक्त दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन गया है. इसके चलते जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम से कम करने पर जोर दिया जा रहा है. क्योंकि जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल से काफी अधिक कार्बन का उत्सर्जन होता है. जबकि इथेनॉल के साथ ऐसा नहीं है.


वहीं, भारत जैसे विशाल देश में इथेनॉल उत्पादन की काफी संभावना है. क्योंकि देश में मक्के और गन्ने का भरपूर उत्पादन होता है. इसी से इथेनॉल का उत्पादन किया जाता है. इससे सबसे ज्यादा बचत विदेशी मुद्रा की होगी. क्योंकि भारत जरूरत का 80 फीसदी पेट्रोल-डीजल आयात करता है.


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