आईएमएफ के इतिहास में यह पहला मौका है, जब भारतीय मूल का कोई व्यक्ति इस पर पहुंचा है. इससे पहले गीता गोपीनाथ पहले आईएमफ को छोड़ना चाहती थीं और हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाकर फिर से छात्रों को पढ़ाना चाहती थीं.
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नई दिल्ली. भारतीय मूल की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया है. यह पहला मौका है जब आईएमएफ में किसी महिला को डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर का पद मिला है. गीता का कार्यकाल जनवरी में समाप्त होने वाला था और फिर से हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में लौटने वाली थीं लेकिन इससे पहले ही आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के लिए उनके नाम की घोषणा कर दी. वे जियोफ्रे ओकामोटो की जगह लेंगी. आईएमएफ में उनकी नियुक्ति आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में की गई थी.
इस पद पर पहली बार पहुंचा भारतीय मूल का व्यक्ति
आईएमएफ के इतिहास में यह पहला मौका है, जब भारतीय मूल का कोई व्यक्ति इस पर पहुंचा है. इससे पहले गीता गोपीनाथ पहले आईएमफ को छोड़ना चाहती थीं और हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाकर फिर से छात्रों को पढ़ाना चाहती थीं.
दिल्ली के श्रीराम लेडी कॉलेज से ग्रेजुएट हैं गीता गोपीनाथ
गीता गोपी नाथ का जन्म दिसंबर 1971 में हुआ था. उनके माता-पिता मलयाली थी. गीता की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई. जबकि उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया. इसके अलावाल उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ-साथ वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर किया.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में किया पीएचडी
गोपीनाथ ने 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी किया. 2005 में वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं. हालांकि इससे पहले यानि कि 2001 में वह शिकागो विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य करती थीं. 2010 में वह प्रोफेसर बन गईं.
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दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार गीता को इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स संबंधित शोधों के लिए जाना जाता है. साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक मंदी से पूरी दुनिया को उबारने के लिए उन्होंने बेहतरी काम किया.
पढ़ाई में तेज नहीं थीं गीता गोपीनाथ
एक मैगजीन को दिए गए इंटरव्यू में उनके माता-पिता ने बताया था कि वह पढ़ाई में एक एवरेज स्टूडेंट्स थीं. लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग पहचान बना लिया. उनके माता-पिता ने यह भी बताया था कि कक्षा 7 तक गीता को सिर्फ 45 फिसदी अंक ही मिलते थे. लेकिन गीता ने आगे चलकर इसमें सुधार किया.
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