USA, UK और कनाडा जैसे देशों ने कोरोना के इस चैलेंजिंग समय में भी स्टूडेंट्स को अपने यहां हायर स्टडीज़ के लिए इन्वाइट किया है.
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नई दिल्ली: Career in Foreign Countries: कोरोना महामारी ने शैक्षणिक संस्थानों समेत लगभग हर सेक्टर को भारी नुकसान पहुंचाया है. बावजूद इसके हाल ही में हुए एक सर्वे में पता लगा कि 94 फीसदी इंडियन स्टूडेंट्स महामारी खत्म होने के बाद विदेश जाकर हायर स्टडी करना चाहते हैं.
हो सकते हैं कई कारण
कोरोना महामारी ने कई देशों के हेल्थकेयर और शिक्षा सिस्टम की पोल खोलकर रख दी. कई देशों के स्टूडेंट्स ने देखा कि विदेश में पढ़ना अब आसान होने लगा है, यूके, अमेरिका और कनाडा जैसे देश तो विदेशी स्टूडेंट्स को महामारी में भी हायर स्टडीज़ करने के लिए इन्वाइट कर रहे हैं. विदेश में पढ़ाई करने के कई और कारण भी हो सकते हैं, ऐसे में यहां जानें उन कारणों के बारे में...
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डिजिटल युग की मांग
महामारी काल में कई एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ने हाइब्रिड स्ट्रक्चर को अपनाते हुए ऑनलाइन स्टडी को सरल बना दिया है. मुश्किल सिचुएशन में भी स्टूडेंट्स विदेशी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर पा रहे हैं. स्टडीज़ के साथ ही ऑनलाइन इंटरव्यू और ऑनलाइन एग्जाम भी आसानी से दे पा रहे हैं.
इंस्टीट्यूट्स द्वारा स्टूडेंट्स को फ्लेक्सिबल टाइम टेबल प्रोवाइड किया जा रहा है, जिससे कि स्टूडेंट्स अपनी सहुलियत से पढ़ाई जारी रख पा रहे हैं. कोविड सिचुएशन के नॉर्मल होते ही स्टूडेंट्स कैम्पस स्टडी का लाभ उठा सकेंगे.
ग्लोबल एक्सेप्टेंस बढ़ा
कोरोना के चलते कई देशों में टूरिस्ट की संख्या कम हो गई, उनसे होने वाले रेवेन्यू पर भी असर पड़ा. इन्हीं कुछ कारणों के चलते स्टूडेंट विज़ा की टाइम लिमिट बढ़ाने के साथ ही टैक्स में भी कमी की गई. नुकसान कवर करने के लिए ही स्टडी और वर्किंग विज़ा की टाइम लिमिट को बढ़ाया गया.
आने वाले समय में डिस्टेंस लर्निंग को और बेहतर बनाया जाएगा, साथ ही स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन भी प्रोवाइड किया जाएगा.
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