NSG Commandos: कैसे बनते हैं NSG कमांडो, जिनकी इजाजत के बिना PM, राष्ट्रपति भी नहीं करते मूवमेंट?
NSG Commandos: ब्लैक कैट कमांडो बनने के लिए फिट बॉडी, मजबूत इरादे और लोगों की जान बचाने का जज्बा होना चाहिए. सिर से पांव तक काले रंग के कपड़ों में ढके होने के कारण इन्हें ब्लैक कैट कमांडो कहा जाता है. एनएसजी का मूल मंत्र है ‘सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा’.
Black Cat Commando Training: 26 नवंबर साल 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादी मुंबई पर कहर बनकर टूटे. इस आतंकवादी हमले के 14 साल बीत चुके हैं. इन आतंकियों ने शहर को तीन दिनों तक दहशत में रखा. इस दौरान उनका सफाया करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन में 9 हमलावरों की जाने गईं. आतंकियों ने 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. हमले में सैकड़ों लोग घायल हुए और करोड़ों भारतीयों का दिल दहल उठा.
हर कोई यही दुआ कर रहा था उन जगहों पर मौजूद लोगों को कोई नुकसान न हो और आतंकवादी पकड़े जाएं. इस तरह का भीषण आतंकी हमला देश पर कभी नहीं हुआ था. आतंकवादी हमले ने सुरक्षा तैयारियों की कई कमियां उजागर कीं, लेकिन नौसेना के कमांडोज मार्कोस और एनएसजी ने जिस तरह से अपना 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' चलाया उस पर हर देशवासी को फक्र होता है.
हर खतरे से लड़ने को हर वक्त तैयार
जब इन कमांडोज की बात होती है तो हमारे दिमाग में सिर से लेकर पांव तक काले कपड़ों में लिपटे हुए जवानों की तस्वीर उभरती है. हाथों में बंदूक, पीठ पर हथियार और गोला बारूद से भरा बैग लिए ये ऐसे कमांडो होते हैं जो किसी भी खतरे से लड़ने के लिए हर समय तैयार रहते हैं. इन्हें देखने के बाद हर भारतीय युवा ब्लैक कैट कमांडो बनने का सपना देखने लगता है. हालांकि, आसान नहीं है एनएसजी कमांडो (NSG Commandos) होना.
जानें कौन हैं ब्लैक कैट कमांडो
सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में से ही एक होते हैं नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG). इन्हें ब्लैक कैट कमांडो के नाम से भी जाना जाता है. एनएसजी को 1984 में बनाया गया था, ताकि देश में होने वाली आतंकी गतिविधियों से निपटा जा सके. कमांडोज एनएसजी को ‘नेवर से गिवअप (Never Say Give up)’ भी कहते हैं. भारत के इन सबसे खतरनाक कमांडोज को प्रधानमंत्री से लेकर अन्य वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में तैनात किया जाता है. वहीं, आतंकी हमले जैसे मुश्किल परिस्थितियों में ब्लैक कैट कमांडो ही ऑपरेशन को अंजाम देते हैं.
सेना के खास जवान चुने जाते हैं
एनएसजी कमांडो के लिए कोई सीधी भर्ती नहीं होती है. इसकी ट्रेनिंग के लिए भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के स्पेशल जवानों को चुना जाता है.
एनएसजी में चुने जाने वाले कमांडो में 53 प्रतिशत भारतीय सेना से और बाकी 45 प्रतिशत कमांडो सीआरपीएफ, आरएएस, आइटीबीपी और बीएसएफ से चुने जाते हैं. कमांडो की ट्रेनिंग में लेने के लिए कम से कम 10 साल सेना में बिताना जरूरी है.
एनएसजी कमांडोज बनने के लिए जरूरी योग्यता
ट्रेनिंग के लिए अधिकतम आयु 35 साल से ज्यादा नहीं होनी चीहिए.
इसके लिए सबसे पहले फिजिकल और मेंटल टेस्ट होता है.
90 दिनों तक चलने वाली यह सबसे कठिन ट्रेनिंग होती है.
शुरुआत में जवानों में 30 से 40 फीसदी फिटनेस योग्यता होती है जो ट्रेनिंग खत्म होते होते 80 से 90 फीसदी तक हो जाती है.
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडो को एक गोली से एक जान लेने की ट्रेनिंग दी जाती है.
कमांडो को आंख बंद करके निशाना लगाने से लेकर अंधेरे में निशाना लगाने की ट्रेनिंग दी जाती है.
एनएसजी ड्राइवर चुनने के लिए अलग से प्रक्रिया बनाई जाती है. बेहद खतरनाक रास्तों, बारूदी सुरंगों और हमलावरों से घिर जाने की स्थिति में उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है.
एनएसजी कमांडो की सैलरी
सैलरी के तौर पर इन्हें 84,000 से लेकर 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह तक मिलता है. इनकी एवरेज सैलरी प्रतिमाह लगभग 1.5 लाख रुपये मिलते हैं. इसके अलावा कई तरह की फैसिलिटी और भत्ते दिए जाते हैं.
यूनिफॉर्म भत्ता
ऑपरेशन ड्यूटी पर आने वाले ऑफिसर्स को 27,800 रुपये सालाना
नॉन ऑपरेशनल ड्यूटी करने वाले जवानों को सालाना 21,225 रुपये
सातवें वेतन आने के बाद यह फैसला लिया गया है.