नई दिल्ली: Karan Sonkar Inspirational Story: सुविधाओं की कमी के चलते कई स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते. लेकिन कई स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जो सुविधाओं की बेड़ियों को पार कर अपने सपनों को पूरा कर दिखाते हैं. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के अल्लापुर में रहने वाले करन सोनकर ने भी कर के दिखाया. माता-पिता की आर्थिक स्थित ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए तैयारी की. 


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10वीं में तो एग्जाम से कुछ दिनों पहले ही उनकी झोपड़ी भी टूट गई थी, लेकिन उन्होंने अपना पूरा फोकस तैयारी पर दिया और IERT (Institute of Engineering & Rural Technology) में एडमिशन ले कर ही माने. 


पिता को बीमारी ने घेर
प्रयागराज के अलोपीबाग स्थित झोपड़ी में करन अपने माता-पिता के साथ रहते थे. नशे के चलते पिता बीमार रहने लगे. वहीं 2019 में सड़क चौड़ीकरण के चलते 10वीं बोर्ड एग्जाम के ठीक दो महीने पहले उनकी झोपड़ी को तोड़ दिया गया. बेघर होने के बाद करन ने स्ट्रीट लाइट में बैठकर एग्जाम की तैयारी की. 


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कोरोना ने छीना मां का काम
करन की मां स्कूल में संविदा कर्मी थीं, वह साफ-सफाई का काम देखती थीं, लेकिन कोरोना के चलते उनका काम छिन गया और उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो गई. करन का एक छोटा भाई व बहन भी है.


इन्हीं हालातों का सामना करते हुए करन ने GIC से 10वीं और 12वीं एग्जाम फर्स्ट क्लास में पास की. 


IERT में मिला एडमिशन
करन की आर्थिक स्थिति और प्रतिभा को देखते हुए उनकी संस्था के शिक्षक मदद को आगे आए. उन्होंने JEE मेंस एग्जाम दिया और IERT प्रयागराज में एडमिशन लिया. वह इलेक्ट्रॉनिक्स से बीटेक कर रहे हैं, उनकी फर्स्ट ईयर की फीस (65 हजार) भी उनके स्कूल के शिक्षकों ने चंदे के माध्यम से ही जमा की. 


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