नई दिल्ली: Current Affairs: दिल्ली के हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान आर्टिकल 44 (Article 44) का जिक्र किया. इसके आधार पर देश में समान नागरिक सहिंता (Uniform Civil Code) लागू करने की वकालत भी की. कोर्ट ने कहा कि समाज में रूढ़िवादियां टूट रही हैं. ऐसे में अब समय आ गया है कि आर्टिकल 44 के तहत समान नागरिक संहिता लागू करने की ओर कदम बढ़ाया जाए. अब सवाल उठता है कि आर्टिकल 44 और समान नागरिक संहिता क्या है? आइए जानते हैं...
क्या है आर्टिकल 44 (What Is Article 44)
संविधान में मौजूद नीति निर्देशक तत्वों के बारे में सुना होगा. यह ऐसा प्रावधान है, जिसे लागू करने के लिए राज्य बाध्य नहीं है. लेकिन वह वादा करती है धीरे-धीरे इस ओर कदम बढ़ाएगी. संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक नीति निर्देशक का वर्णन किया गया है. इनमें से एक है आर्टिकल 44. आर्टिकल 44 राज्यों को निर्देश देता है कि उचित समय पर सभी धर्मों के लिए पूरे देश में 'समान नागरिक संहिता' लागू की जाए.
क्या है समान नागरिक संहिता (What Is Uniform Civil Code)
समान नागरिक संहिता पर लंबे समय से बहस होती आई है. समान नागरिक सहिंता का मतलब देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे व्यक्ति किसी धर्म या समुदाय का हो. लेकिन भारत में अभी तक ऐसा नहीं हो सका है. खासकर शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के लिए देश अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून है. इस अलग कानून को पर्सनल लॉ कहते हैं.
आर्टिकल 370 के खत्म होने और तीन तलाक कानून के बाद उठी उम्मीद
बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 लागू था, ऐसे में उस राज्य को विशेष प्रावधान मिले थे. साल 2019 में मोदी सरकार ने इस संसद के जरिए खत्म कर दिया. इसके अलावा मुस्लिम के तलाक कानून में भी बदलाव किया गया. तब से इस बात उम्मीद जताई जा रही है कि समान नागरिक सहिंता को लागू किया जा सकता है.