Why We Celebrate Chhoti Diwali: दीपों का त्योहार दिवाली अब से बस कुछ ही दिन दूर है. इस बार दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. लेकिन बड़ी दिवाली से पहले छोटी दिवाली और धंतेरस का त्योहार भी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. हालांकि, बहुत से लोग कई सालों से दिवाली का त्योहार मनाते आ रहे हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि हम आखिर छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं? अगर आप भी इसकी असली वजह नहीं जानते, तो आइये आज हम आपको इसके पीछे की खास वजह के बारे में बताते हैं.


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दक्षिण दिशा में जलाया जाता है दीया
दरअसल, छोटी दिवाली को यम दिवाली या नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन लोग सभी लोग यम देवता के नाम का दीया अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. लेकिन छोटी दिवाली को मनाने की सबसे बड़ी वजह कुछ और है.


इस असुर ने किया था 16 हजार कन्याओं का हरण
दरअसल, हिंदू पैराणिक कथाओं के अनुसार किसी राज्य में नरकासुर नामक एक राक्षस रहता था. वह काफी बलशाली था. उसने इंद्र देव को भी पराजित कर रखा था. इसके अलावा नरकासुर ने देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की बेटियों का हरण कर उन्हें बंदी बनाकर अपने पास रखा था. इस तरह से उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर करीब 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था. 


कोई देवता नहीं कर सका नरकासुर का वध
महिलाओं के प्रति नरकासुर की द्वेष भावना को देखते हुए, देवी सत्यभामा ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि वह उन्हें नरकासुर का वध करने का अवसर प्रदान करें. दरअसल, नरकासुर द्वारा इतने घिनौने कृत्य करने के बावजूद उसका वध कोई देवता इसलिए नहीं कर पाए थे, क्योंकि नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल एक महिला के हाथों ही हो सकती है.


सत्यभामा ने किया नरकासुर का वध 
इसके बाद सत्यभामा को भगवान श्रीकृष्ण का साथ मिला और वह भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर बैठकर नकरासुर का वध करने के लिए गईं. सत्यभामा और नरकासुर के बीच हुए युद्ध में सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर सभी 16,000 बंदी कन्याओं को छुड़वा लिया. 


इस तरह बनीं श्रीकृष्ण 16 हजार पत्नियां 
हालांकि, इतने समय से नरकासुर की कैद में रही स्त्रियों की आबरू पर लोग सवाल उठाने लगे. इसलिए उन सभी स्त्रियों को समाज में सम्मान और मान्यता दिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सभी स्त्रियों को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.


इसलिए मनाई जाती है छोटी दिवाली
वहीं, नरकासुर की मां ने यह घोषणा की कि उनके पुत्र की मृत्यु को किसी शोक के दिन के तौर पर ना मनाकर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए. इसलिए इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है.