बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की यूं तो हर फिल्म ने सफलता के नए कीर्तिमान रचे हैं. पर कुछ फिल्मों ने ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो हमेशा अमिट है.
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नई दिल्ली: बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की यूं तो हर फिल्म ने सफलता के नए कीर्तिमान रचे हैं. पर कुछ फिल्मों ने ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो हमेशा अमिट है. इन फिल्मों ने जहां बिग बी को बॉलीवुड में स्थापित किया तो उनकी एंग्री यंग मैन की छवि को और मजबूत किया. ये फिल्म थी दीवार. 1975 में बेस्ट मूवी के सम्मान के साथ दीवार ने छह फिल्मफेयर अवार्ड जीते थे. दीवार उस साल कमाई के मामले में चौथे नंबर पर रही थी.
इस फिल्म में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और शशि कपूर के अलावा निरूपा राय के रोल को खूब तारीफ मिली लेकिन फिल्म ने परवीन बॉबी को भी बॉलीवुड में स्थापित कर दिया उनके अलावा नीतू सिंह भी शशि कपूर के साथ ख़ूब जमी. जबकि मदन पुरी और इफ्तेखार का काम भी काबिलेतारीफ था. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर धमाल मचा दिया.
बच्चन ने ट्वीटर पर साझा किया कि दीवार फिल्म में नीचे की ओर गठान बांधी हुई कमीज और कंधे पर पड़ी रस्सी वास्तव में सिलाई में हुई गलती को छुपाने के लिए किया गया उपाय था. कमीज बहुत बड़ी थी इसलिए उसमे नीचे गठान बांधी गई थी. दीवार’ फिल्म में शशि कपूर, निरूपा रॉय, परवीन बॉबी और नीतू सिंह जैसे सितारे भी थे और फिल्म सुपरहिट रही थी. खाकी पैंट के साथ ब्लू डेनिम की शर्ट और शोल्डर पर राउंड फोल्ड रस्सी मेगास्टार अमिताभ बच्चन का सबसे पाप्युलर और अब तक का सबसे स्पेशल लुक रहा है.
T 1533 - The knotted shirt and rope on shoulder in 'Deewar' was an adjustment for an error in stiching .. shirt too long so knotted it .. !!
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) July 2, 2014
दीवार फिल्म के लिए गुलशन राय को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म , यश चोपड़ा को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक , शशि कपूर को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता, सलीम ख़ान, जावेद अख्तर को सर्वश्रेष्ठ कथा औऱ सर्वश्रेष्ठ पटकथा, सर्वश्रेष्ठ संवाद के लिए सलीम ख़ान, जावेद अख्तर और सर्वश्रेष्ठ ध्वनिमुद्रण के लिए एम् ए शेख को फिल्मफेयर मिला था. अकेले मुंबई में उस जमाने में इस फिल्म ने एक करोड़ रूपये जुटा लिए थे, वो भी तब जब सिनेमा टिकट का अधिकतम मूल्य तीन रूपये हुआ करता था. ‘दीवार’ को भारत में अलग-अलग भाषाओं में रीमेक किया गया. इसे तेलुगू में ‘मगाड़ू’ (1976), तमिल में ‘दी’ (1981) और मलयालम में ‘नाडी मुथल नाडी वारे’ के नाम से बनाया गया.