निर्भया गैंगरेप के दोषियों के लिए अनूप जलोटा ने की ये मांग, आप भी पढ़ें
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निर्भया गैंगरेप के दोषियों के लिए अनूप जलोटा ने की ये मांग, आप भी पढ़ें

आपने फिल्मों में देखा होगा कि फांसी देने से पहले मरने वाले से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है लेकिन तिहाड़ जेल में निर्भया के दरिंदों से उनकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी जाएगी. जेल मैनुअल के मुताबिक कभी भी किसी कैदी से फांसी देने पहले उसकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी जाती. 

फोटो साभार : इंस्टाग्राम

नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape) के दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है. कोर्ट ने कहा कि इस बीच चाहें तो बचे हुए कानूनी विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं. चारों दोषियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी.

अनूप जलोटा का बयान
इसे लेकर भजन सम्राट अनूप जलोटा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि  बहुत लंबा समय लग गया. अब अगर इस किस्म की कोई दर्दनाक घटना होती है तो इतना समय नहीं लगेगा, क्योंकि सरकार इन मामलों पर बहुत ज्यादा सख्त हो गई है. नए-नए कानून बन गए हैं. पहले जो भी हुआ समय लगा,लेकिन अब तो मैं तो समझता हूं कि तुरंत ही फांसी दे देनी चाहिए. 22 तारीख तक भी रुकने की क्या जरूरत है. ऐसे लोगों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. हम समाज को सुंदर बनाना चाहते हैं.

फांसी पर ये बोले पीड़िता के माता-पिता
बता दें कि कोर्ट से न्याय मिलने के बाद पीड़िता की मां ने कहा कि मेरी बेटी को न्याय मिला है. 4 दोषियों की सजा देश की महिलाओं को सशक्त बनाएगी. इस फैसले से न्यायिक प्रणाली में लोगों का विश्वास मजबूत होगा. वहीं निर्भया के पिता ने कहा कि मैं अदालत के फैसले से खुश हूं. दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी. इस फैसले से ऐसे अपराध करने वाले लोगों में डर पैदा होगा.

फांसी से पहले नहीं पूछी जाएगी अंतिम इच्छा
आपने फिल्मों में देखा होगा कि फांसी देने से पहले मरने वाले से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है लेकिन तिहाड़ जेल में निर्भया के दरिंदों से उनकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी जाएगी. जेल मैनुअल के मुताबिक कभी भी किसी कैदी से फांसी देने पहले उसकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी जाती. तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी अजय कश्यप के मुताबिक 'आखिरी इच्छा पूछने की परंपरा सिर्फ फिल्मों में दिखाई जाती है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है. इस दलील के पीछे कारण ये है कि अगर फांसी देने से पहले मरने वाला कैदी अपनी आखिरी इच्छा के तौर पर फांसी ना देने की इच्छा भी कर सकता है, जबकि फांसी एक जुडिशल ऑर्डर होता है जिसको तय दिन और समय पर ही पूरा करना होता है. ये ज़रूर है कि फांसी देने वाले दिन फांसी देने से पहले मरने वाले से उसकी वसीयत ज़रूर एसडीएम के ज़रिए लिखवाई जाती है कि मरने के बाद उसकी प्रॉपर्टी और चीज़ों का उत्तराधिकारी कौन होगा.

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