64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के बाद, फिल्मकार ए.आर. मुरुगदौस ने शनिवार को इसे पक्षपातपूर्ण करार दिया. उन्होंने जूरी सदस्यों पर पक्षपात का आरोप लगाया है.
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चेन्नई/मुंबई: 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के बाद, फिल्मकार ए.आर. मुरुगदौस ने शनिवार को इसे पक्षपातपूर्ण करार दिया. उन्होंने जूरी सदस्यों पर पक्षपात का आरोप लगाया है.
मुरुगदौस ने ट्विटर पर कहा, "मैं जूरी में लोगों के प्रभाव और पक्षपात को स्पष्ट रूप से देख सकता हूं. राष्ट्रीय पुरस्कार पक्षपातपूर्ण हैं."
फिल्म 'रुस्तम' के लिए अक्षय को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिए जाने के बाद इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है, जबकि आमिर खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और दुलकेर सलमान जैसे सितारे कतार में थे.
फिल्म निर्माता प्रियदर्शन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की जूरी के प्रमुख थे. अक्षय और प्रियदर्शन कई फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं.
हंसल मेहता ने जताई निराशा
फिल्म निर्माता हंसल मेहता का कहना है कि ‘अलीगढ़’ को राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिलने से वह निराश हैं लेकिन यह उनकी निजी भावना है और किसी खास व्यक्ति के प्रति नहीं है.
मेहता ने अपनी फिल्म को कोई पुरस्कार नहीं मिलने पर ट्वीटर पर अपनी निराशा जताई थी. इसका कुछ वर्गों ने आलोचना की थी. ऐसे लोगों का मानना था कि निर्देशक को ऐसी बात ऑनलाइन नहीं पोस्ट करनी चाहिए थी.
मेहता ने स्पष्ट किया कि वह किसी की शिकायत नहीं कर रहे थे. उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘शाहिद’ को 2014 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
मेहता ने कहा कि पुरस्कार निर्णायक मंडल के लिए प्रत्येक वर्ष कठिन काम होता है। ऐसे में कई लोगों का निराश होना स्वाभाविक है।
फिल्मकार ने कहा, "कुछ अच्छी फिल्में पुरस्कृत की गई हैं और कुछ के बेहतरीन काम को सम्मानित किया गया है। मेरे सभी साथी जिन्होंने अपना दिल 'अलीगढ़' के लिए खोल दिया, उन सब से कहना चाहता हूं कि चलो प्यार और जिम्मेदारी के साथ अपनी फिल्में बनाते हैं। पुरस्कार मिले या न मिले। नतीजों पर सिर खपाने का कोई अर्थ नहीं है।"
मेहता ने कहा, "आगे बढ़ने में और लगातार काम करते रहने में ही खूबी है, उन फिल्मों को बनाने में जिनमें हम विश्वास रखते हैं।