चंद्रग्रहण में जन्‍मे थे मार्क जुकरबर्ग, 21 की उम्र में दुनिया को दे डाला Facebook
Advertisement

चंद्रग्रहण में जन्‍मे थे मार्क जुकरबर्ग, 21 की उम्र में दुनिया को दे डाला Facebook

फेसबुक के सीईओ मार्क इलियट जुकबर्ग का जन्म 14 मई, 1984 को हुआ था. इस दिन चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) था.

मार्क जुकबर्ग फेसबुक के सीईओ हैं. (फोटो साभार @MarkZuckerberg/Facebook)

नई दिल्ली: आज दुनियाभर में चांद एक ऐसा नजारा दिखाने वाला है, जो करीब 150 सालों बाद देखने को मिल रहा है. चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) वैसे तो एक खगोलीय घटना है, लेकिन इसके आसपास शुभ-अशुभ, अच्‍छा-बुरा जैसे कई विश्‍वास हैं. देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां पर चंद्रमा शाम 5:58 पर दिखाई देखा. ग्रहण को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं, जैसे इस समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, गर्भवति महिलाओं को यह नहीं देखना चाहिए. यह भी मान्यता है कि इस दिन भारत के लोग आम तौर पर चंद्रग्रहण के दौरान भोजन, पानी और यात्रा नहीं करते हैं. ग्रहण के दौरान हुए बच्‍चों का जन्‍म भी शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन दुनिया को 'फेसबुक' जैसा क्रांतिकारी और बेहद नया सोशल मीडिया टूल देने वाला मार्क जुकरबर्ग से लेकर कई प्रसिद्ध राजा ग्रहणकाल में ही पैदा हुए हैं.

जैसे यूगोस्‍लोवाकिया के राजा पीटर II का जन्‍म 6 सितंबर, 1923 को सर्बिया में सूर्य ग्रहण कुछ समय पहले हुआ था. वहीं इटल के महाराज, विक्‍टर इम्‍यूनल II का जन्‍म भी 14 मार्च, 1820 में सूर्य ग्रहण के दौरान हुआ था. लेकिन इस सबसे बड़ी मिसाल हमारे सामने हैं फेसबुक के सीईओ मार्क इलियट जुकबर्ग, जो खुद चंद्र ग्रहण के दौरान ही पैदा हुए थे. मार्क जकरबर्ग का जन्म 14 मई, 1984 को हुआ था. इस दिन चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) था. मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक की शुरुआत 4 फरवरी, 2004 को हारवर्ड यूनिवर्सिटी के अपने डोरमेटरी रूम से ही की थी. दिसंबर, 2016 में फोर्ब्स ने मार्क जकरबर्ग को दुनिया के 10 सबसे ताकतवर लोगों की सूची में शामिल किया जा चुका है. बता दें कि हॉलीवुड 'द सोशल नेटवर्क' के नाम से मार्क जकरबर्ग की जिंदगी पर फिल्म भी बना चुका है.

वैज्ञानिक मान्यता
ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.

पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण की के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.

पूर्ण चंद्र ग्रहण का समय
भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण शाम 6:21 बजे पर शुरू होगा यह पूरे देश में देखा जाएगा और पूर्ण चंद्र ग्रहण की सबसे गहन स्थिति शाम 6:59 बजे पर होगी. पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति रात को 7:37 बजे पर खत्म हो जाएगी और आंशिक चंद्रग्रहण रात 8:41 बजे पर खत्म हो जाएगा और उसके बाद चंद्र ग्रहण का अंतिम चरण रात 9:38:27 बजे पर समाप्त हो जाएगा.

बॉलीवुड की और खबरें पढ़ें

Trending news