मशहूर कॉमेडियन से पहले ड्राइवर थे महमूद, आज ही के दिन कहा था दुनिया को अलविदा
महमूद ने ना सिर्फ अपनी कॉमेडी से दर्शकों के चेहरे पर हंसी लाई, बल्कि वो एक बेहतरीन एक्टर के साथ, निर्देशक, प्रोड्यूसर और सिंगर भी थे.
- महमूद की पुण्यतिथि आज
- ड्राइवर से मिला फिल्मों में ब्रेक
- कॉमेडी के किंग कहे जाते थे महमूद
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नई दिल्ली: 50 के दशक के मशहूर कॉमेडियन किंग महमूद (Mahmood) की आज पुण्यतिथि है. 71 साल की उम्र में आज ही के दिन साल 2004 में इस मशहूर कॉमेडियन ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. महमूद ने ना सिर्फ अपनी कॉमेडी से दर्शकों के चेहरे पर हंसी लाई, बल्कि वो एक बेहतरीन एक्टर के साथ, निर्देशक, प्रोड्यूसर और सिंगर भी थे. मुंबई में 29 सितंबर 1932 को महमूद का जन्म हुआ था.
हीरो से ज्यादा थी फीस:
महमूद 50 के दशक के एक शानदार एक्टर थे. उनकी कॉमेडी के दर्शक कायल थे. कहा जाता है कि उस समय फिल्मों में महमूद की जबरदस्त डिमांड रहती थी जिसके चलते महमूद ने अपनी फीस बढ़ा दी थी. कहा तो ये भी जाता है कि वो हीरो से ज्यादा फीस लिया करते थे.
बचपन से ही था अभिनय का शौक:
बचपन से ही महमूद का रूझान एक्टिंग की तरफ था. वो बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखने का हमेशा सपना देखा करते थे. पिता की सिफारिश पर उन्हें 1943 में आई फिल्म 'किस्मत' में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अभिनय करने का मौका मिला. इस फिल्म में महमूद ने अशोक कुमार के बचपन का किरदार निभाया था.
ड्राइवर से बने कलाकार:
बॉलीवुड में कदम रखने के लिए महमूद सभी तरह के प्रयास करते थे. महमूद ने इसके लिए ड्राइविंग तक सीख ली और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के ड्राइवर बन गए. महमूद ने सोचा की अब उन्हें कलाकारों और निर्माता, निर्देशक के करीब जानें का मौका मिलेगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही. यही से खुली महमूद की किस्मत और उन्हें 'दो बीघा जमीन', 'प्यासा' जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने शुरू हो गए.
'परवरिश' फिल्म से मिला बड़ा ब्रेक:
1958 में आई फिल्म 'परवरिश' से महमूद को बड़ा ब्रेक मिला. इस फिल्म में उन्होंने राजकपूर के भाई की भूमिका निभाई थी. महमूद के अभिनय को हर किसी ने पसंद किया. इसके बाद 'छोटी बहन' फिल्म उनके करियर की अहम फिल्म साबित हुई. इन फिल्मों की सफलता के बाद तो महमूद के लिए बॉलीवुड के दरवाजे पूरी तरह से खुल गए.
बॉलीवुड में महमूद की धाक का अंदाज आप इस तरह से लगा सकते हैं कि उन्होंने अमिताभ बच्चन को पहला सोलो रोल दिया था. ये वही महमूद हैं जिन्होंने आर.डी बर्मन और पंचम दा जैसे संगीत के धुरंधरों को पहला ब्रेक दिया था.
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