B'DAY SPECIAL: ऐसे अपने टैलेंट से जॉनी लीवर बने बॉलीवुड के कॉमेडी किंग
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B'DAY SPECIAL: ऐसे अपने टैलेंट से जॉनी लीवर बने बॉलीवुड के कॉमेडी किंग

बचपन से ही जॉनी को फिल्मों में इंट्रस्ट था और वह जॉनी वाकर, महमूद और किशोर कुमार की तरह कॉमेडी एक्टर बनना चाहते थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात मिमिक्री कलाकार राम कुमार से हुई. उन्होंने ही जॉनी को मिमिक्री कलाकार के तौर पर काम करने की सलाह दी

वह जॉनी वाकर, महमूद और किशोर कुमार की तरह कॉमेडी एक्टर बनना चाहते थे (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: स्टेज शो में बतौर मिमिक्री आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले बॉलीवुड के कॉमेडियन किंग जॉनी लीवर का आज जन्मदिन है और उनके जन्मदिन पर आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें. जॉनी लीवर का रियल नाम जान राव प्रकाश राव जानुमाला है. उनका जन्म 14 अगस्त 1957 को आंध्रप्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा आंध्रप्रदेश के एक तेलुगू स्कूल से पूरी की थी. उनके घर की स्थिति ठीक ना होने की वजह से उनको अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी, इसके बाद वह अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे थे. 

बचपन से ही था मिमिक्री का क्रेज

बचपन से ही जॉनी को फिल्मों में इंट्रस्ट था और वह जॉनी वाकर, महमूद और किशोर कुमार की तरह कॉमेडी एक्टर बनना चाहते थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात मिमिक्री कलाकार राम कुमार से हुई. उन्होंने ही जॉनी को मिमिक्री कलाकार के तौर पर काम करने की सलाह दी. इसी बीच जॉनी मुंबई आ गए और अपने पिता के साथ हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम करने लगे. वहां वह अक्सर अपने साथियों का मिमिक्री करके मनोरंजन किया करते थे. इसी दौरान एक बार उनको कंपनी के वार्षिक समारोह में मिमिक्री कार्यक्रम पेश करने का मौका मिला और उनके कार्यक्रम को देख उनके साथी और कंपनी के मालिक काफी प्रभावित हुए और उनका नाम जॉनी लीवर रख दिया. 

1982 में संगीतमय कार्यक्रम का हिस्सा बने थे

इसके बाद जॉनी लीवर स्टेज पर भी अपने मिमिक्री के कार्यक्रम पेश करने लगे. इसी दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंद जी से हुई. उन्हें 1982 में कल्याण -आनंद और अमिताभ बच्चन के साथ विश्व भर में संगीतमय र्कायक्रम के टूर में हिस्सा लेने का मौका मिला. इस बीच, उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से हुयी जिन्होंने जॉनी लीवर की प्रतिभा को पहचानने के बाद अपनी फिल्म 'दर्द का रिश्ता' में काम करने का अवसर दिया. फिल्म दर्द का रिश्ता के बाद जॉनी लीवर को कई फिल्मों में छोटी मोटी भूमिकायें मिलने लगीं लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा. इस दौरान उन्हें एक ऑडियो कैसेट कंपनी की ओर से मिमिक्री कार्यक्रम 'हंसी के हंगामे' में काम करने का मौका मिला जो देश में ही नहीं विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हुआ. कैसेट की कामयाबी के बाद जॉनी लीवर बतौर मिमिक्री कलाकार देश भर में मशहूर हो गये.

1993 में मिली अहम पहचान

1993 में जॉनी लीवर के सिने करियर की सर्वाधिक अहम फिल्म 'बाजीगर'  प्रदर्शित हुई. अब्बास-मुस्तान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जॉनी लीवर ने बाबूराव नामक एक बावर्ची के किरदार की भूमिका निभायी जिसकी याददाश्त समय-समय पर चली जाती है. अपने इस किरदार के जरिये जॉनी लीवर दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुये. इसके बाद जॉनी लीवर ने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढ़कर एक फिल्मों में अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया. जॉनी लीवर को उनके सिने करियर में दो बार सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जॉनी लीवर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं.

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