बता दें, 'फुटपाथ', 'फिर सुबह होगी', 'शोला और शबनम', 'कभी कभी', 'त्रिशूल', 'खानदान', 'नूरी', 'बाजार', 'उमराव जान', 'रजिया सुल्तान', 'आहिस्ता आहिस्ता' और 'दर्द' जैसी तमाम फिल्मों में उन्होंने अपना जादुई संगीत दिया.
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नई दिल्ली: मशहूर संगीतकार खय्याम का सोमवार रात मुंबई में निधन हो गया. वह 92 साल के थे. खय्याम के निधन से लता मंगेशकर काफी भावुक दिखीं और कई सारे ट्वीट किए. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'महान संगीतकार और बहुत नेक दिल इंसान खय्याम साहब आज हमारे बीच नहीं रहे. ये सुनकर मुझे इतना दुख हुआ जो मैं बयान नहीं कर सकती. खय्याम साहब के साथ संगीत के एक युग का अंत हुआ है. मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं.'
Mahan sangeetkar Aur bahut nek dil insan Khayyam sahab aaj humare bich nahi rahe. Ye sunkar mujhe itna dukh hua hai jo main bayaa’n nahi kar sakti.Khayyam sahab ke saath sangeet ke ek yug ka anth hua hai.Main unko vinamra shraddhanjali arpan karti hun. pic.twitter.com/8d1iAM2BPd
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) August 19, 2019
उन्होंने कहा, 'खय्याम साहब मुझे अपनी छोटी बहन मानते थे. वह मेरे लिए खास पसंद के गाने बनाते थे. उनके साथ काम करते वक्त बहुत अच्छा लगता था और थोड़ा डर भी लगता था क्योंकि वो बड़े परफेक्शनिस्ट थे. उनकी शायरी की समझ बहुत कमाल थी.' लता ने आगे लिखा 'इसलिए 'मीर ताकी' जैसे महान शायर की शायरी उन्होंने फिल्मों में लाई. 'दिखाई दिए यूं' जैसी खूबसीरत गजल हो या 'अपने आप रातों में' जैसे गीत, खय्याम साहब का संगीत हमेशा दिल को छू जाता था. राग पहाड़ी उनका पसंदीदा राग था.'
Khayyam sahab mujhe apni choti behen maante the. Wo mere liye apni khas pasand ke gaane banaate the.Unke saath kaam karte waqt bahut accha lagta tha aur thoda darr bhi lagta tha kyo ki wo bade perfectionist the.Unki shayari ki samajh bahut kamaal thi.
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) August 19, 2019
उन्होंने आगे लिखा, 'ऐसी न जाने कितनी बातें याद आ रही है, वो गाने वो रिकॉर्डिंग याद आ रही हैं. ऐसा संगीतकार शायद फिर कभी न हो. मैं उनको और उनके संगीत को वंदन करती हूं.' बता दें, खय्याम ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर धुनें दीं. इनमें उमराव जान, बाजार, खानदान और कभी कभी का संगीत सबसे ज्यादा चर्चित हुआ. आज भी इन फिल्मों को खय्याम के संगीत के कारण ही ज्यादा जाना जाता है. खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था.
Isiliye Meer Taqi Meer jaise mahan shayar ki shayari unhone filmon mein laayi. Dikhayi diye yun,jaisi khubsoorat ghazal ho ya apne aap raaton mein jaise geet ,Khaiyyam sahab ka sangeet hamesha dil ko choo jaata tha.Raag Pahadi unka pasandida raag tha.
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) August 19, 2019
3 दिन पहले फेफड़ों में संक्रमण के चलते उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद से उनकी हालत में सुधार नहीं आया था. सोमवार रात उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी का नाम जगजीत कौर था. वह गायिका थीं, उन्होंने बाजार, उमराव जान और शगुन जैसी फिल्मों में गाने गाए. 2012 में उनका निधन हो गया था. खय्याम के निधन पर पीएम मोदी ने शोक व्यक्त किया है.
Aisi na jaane kitni baatein yaad aarahi hai, wo gaane wo recordings yaad aarahi hain.Aisa sangeetkar shayad phir kabhi na hoga. Main unko aur unke sangeet ko vandan karti hun.
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) August 19, 2019
बता दें, 'फुटपाथ', 'फिर सुबह होगी', 'शोला और शबनम', 'कभी कभी', 'त्रिशूल', 'खानदान', 'नूरी', 'बाजार', 'उमराव जान', 'रजिया सुल्तान', 'आहिस्ता आहिस्ता' और 'दर्द' जैसी तमाम फिल्मों में उन्होंने अपना जादुई संगीत दिया.