छुट्टियों को बनाना है यादगार, तो Travel list में शामिल करें ये नाम
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छुट्टियों को बनाना है यादगार, तो Travel list में शामिल करें ये नाम

अगर आप घूमने के शौकीन हैं और दुनिया की अलग-अलग जगह जाकर अपनी छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते हैं तो  इजराइल के dead sea को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें.

दूसरे समुद्रों की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा खारा और भारी है मृत सागर (फोटो साभार)@YofingDeadSea

नई दिल्लीः अगर आप घूमने के शौकीन हैं और दुनिया की अलग-अलग जगह जाकर अपनी छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते हैं तो इजराइल के मृत सागर को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें. आप यहां अपने परिवार और दोस्तों के साथ जाकर भरपूर एंजॉय कर सकते हैं. मृत सागर दुनिया का सबसे छोटा समुद्र है और सबसे कम जगह पर फैला है. ये 48 मील लंबा और 15 मील चौड़ा समुद्र है, साथ ही पृथ्वी की सतह से लगभग 1,375 फुट गहरा है और समुद्री सतह से करीब 400 मीटर नीचे है. वैसे तो हर समुद्र का पानी खारा होता है लेकिन इसका पानी दूसरे समुद्रों की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा खारा और भारी है. और यही कारण है कि इसका नाम मृत सागर पड़ा. दरअसल इसका पानी इतना ज्यादा खारा है कि इसमें न कोई जीव जीवित नहीं रह सकता.

  1. Dead sea को अपनी ट्रेवल लिस्ट में करें शामिल
  2. दुनिया का सबसे छोटा समुद्र है मृत सागर
  3. इसमें नहाने से कई बीमारियां हो जाती हैं खत्म

क्यों जाना चाहिए
दरअसल मृत सागर समुद्र तल से करीब 1388 फीट नीचे पृथ्वी के सबसे निचले बिंदु पर है. साथ ही ये समुद्र करीब 3 लाख वर्ष पुराना है. इस समुद्र का घनत्व इतना ज्यादा है कि इसमें पानी का बहाव नीचे से ऊपर की ओर है और यही कारण है कि इस समुद्र में सीधे लेट जाने पर आप इसमें डूब नहीं सकते. साथ ही मृत सागर का नजारा भी काफी खूबसूरत है.

मृत सागर की खासियत
मृत सागर का खारापन पूरी दुनिया में मशहूर है. इसका पानी दूसरे समुद्रों की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक खारा है. यही वजह है कि इसमें नहाने से कई बीमारियां भी खत्म हो जाती हैं. साथ ही इसमें मिलने वाली मिट्टी का इस्तेमाल भी बहुत फायदेमंद होता है. इसकी मिट्टी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है.

मृत सागर के नाम के पीछे की वजह
मृत सागर के नाम के पीछे की सबसे बड़ी वजह है इसके पानी का खारापन. दरअसल मृत सागर का पानी इतना अधिक खारा है कि इसमें कोई भी जीव जीवित नहीं रह पाता. और यही वजह है कि इसमें मछली और अन्य जीव नहीं पाए जाते. इसके पानी में पोटाश, ब्रोमाइड, जिंक, सल्फर, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज लवण भी काफी मात्रा में हैं जिसकी वजह से इससे निकलने वाले नमक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

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