MOVIE REVIEW: जेल से भी सपने हो सकते हैं पूरे, यही दिखाती है 'लखनऊ सेंट्रल'
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MOVIE REVIEW: जेल से भी सपने हो सकते हैं पूरे, यही दिखाती है 'लखनऊ सेंट्रल'

मुरादाबाद के छोटे शहर का रहने वाला लड़का किसन (फहहान अख्तर) गाना गाने का शौक रखता है.

लोगों को पसंद आ रही है फरहान की फिल्म 'लखनऊ सेंट्रल'. (फाइल फोटो)

डायरेक्टर  : रंजीत तिवारी
कलाकार   : फरहान अख्तर, डायना पेंटी, दीपक डोबरियाल, गिप्पी ग्रेवाल, रवि किशन, रौनित रॉय
संगीत      : तनिष्क बाघची
समय       : 2 घंटा 27 मिनट
रेटिंग       : 3/5

सपने देखने का हक किसे होता है? अगर कोई छोटे शहर का रहने वाला इंसान ख्वाब देखे. उसे पूरा करने के लिए जी तोड़ कोशिश करे. दिन-रात एक कर दे. रात का एक-एक पहर उसकी पलकों पर बीतें. तो क्या ये गुनाह है?? और अगर ये गुनाह है तो इसकी सजा क्या होनी चाहिए? फरहान अख्तर स्टारर फिल्म 'लखनऊ सेंट्रल' की कहानी कुछ ऐसी ही है. यह फिल्म उन कैदियों पर बेस्ड है, जिनका लखनऊ जेल में बैंड था. धीरे-धीरे इनकी मेहनत काम आई और ये इतना फेमस हो गया कि जेल में ही इनके लिए बुकिंग काउंटर खोलना पड़ा.

कहानी- मुरादाबाद के छोटे शहर का रहने वाला लड़का किसन (फहहान अख्तर) गाना गाने का शौक रखता है. उसका बस एक ही ख्वाब है दिल्ली जाना अपना एक म्यूजिक बैंड बनाना. किसन का मानना है सपनों को कोई कैद नहीं कर सकता, अपने सपनों को उड़ान देने के लिए वो फड़फड़ाने लगता है. तभी उसे पता चलता है उसके शहर में भोजपुरी सिंगर मनोज तिवारी का एक शो है. वो सोचता है उस शो में जाकर वो उनसे अपने बारे में बात करेगा और अपने गानों की सीडी उन्हें देगा. ताकि वे गायक बनने में उसकी मदद कर सकें. लेकिन अफसोस वो शो में जाता है लेकिन सिक्योरिटी वाले उसे मनोज तिवारी से बात करना तो दूर उसकी सीडी तक तोड़ देते हैं. उस पर हंसते हैं. जिससे वो दुखी हो जाता है. और वापस घर लौट आता है. लेकिन उसकी अगली सुबह किसन के साथ कुछ ऐसा होता है जो उसकी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख देता है. वो सपना जो उसने देखा था. हांफता हुआ जमीन पर गिर जाता है. 

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अभिनय- फरहान अख्तर ने कमाल का अभिनय किया है. कई डायलॉग दिल को छू जाते हैं. ‘कुंए का मेंढक अगर नाले में छिपे तो इसे आजादी कहेंगे’ जैसे डायलॉग सटीक लगते हैं. ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के पप्पी भइया यानी दीपक डोबरियाल इंजीनियर बनें हैं. बंगाली किरदार उनपर खूब फबा है. फरहान के साथ दीपक डोबरियाल की केमिस्ट्री शानदार बन पड़ी है. गिप्पी ग्रेवाल ने इंप्रेसिव काम किया है. डायना इस फिल्‍म में एक एनजीओ वर्कर का किरदार निभाते नजर आएंगी. सीएम साहब बने रवि किशन अपने रोल में जच रहे हैं.

बातें कुछ और भी- फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है सपनों को आप कैद नहीं कर सकते. जेल में भी नहीं. सकारात्मक सोच और कुछ करने की लगन से सबकुछ बदल सकता है. वक्त भी. इंसान भी. बस एक मौका मिलना चाहिए. फरहान ने इस फिल्‍म के रिलीज से पहले एक इंटरव्‍यू में कहा था, ‘जब मैंने कहानी सुनी, मैं हैरान हो गया था. कैसे जेल में रहकर उन कैदियों ने बैंड बनाया लोगों के दिलों में जगह बनाई.

(पूजा बत्रा)

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